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NPS में कितना पैसा कटाएं कि बुढ़ापे में मिले अच्छी पेंशन? उम्र-पैसे का पूरा हिसाब जानिए

Updated on 21-08-2023 12:45 PM
नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के बीच यह मुद्दा रहा है कि उन्हें नेशनल पेमेंट सिस्टम (NPS) में आखिरी सैलरी की 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में नहीं मिलती है। एनपीएस में कम रिटर्न की बात कही जाती है। लेकिन यहां भी पेंच है। दरअसल, एनपीएस के बारे में अधिकतर नाराजगी उन कर्मचारियों से आती है, जो कम समय में ही इस स्कीम से बाहर हो गए। अगर आप एनपीएस में 30 साल या उससे अधिक समय तक योगदान करते हैं, तो रिटर्न अच्छा मिलता है। हिमाचल प्रदेश और दूसरे राज्यों जैसे कई मामलों में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनकी सर्विस के दौरान काफी समय बाद फुल-टाइम सरकारी कर्मचारी बनाया जाता है। ऐसे कर्मचारी जब रिटायर होते हैं तो उनके एनपीएस अकाउंट में ज्यादा कॉर्पर्स नहीं क्रिएट हो पाता। सरकारी सूत्रों ने टीओआई को यह जानकारी दी है।

अधिकतर कर्मचारी 3 दशकों तक करते हैं योगदान
सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा 30 साल की उम्र पूरी होने से पहले सेवा में आ जाता है। ये लोग तीन दशकों तक एनपीएस में योगदान देते हैं। इसमें कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी योगदान देते हैं और 14 फीसदी नियोक्ता की तरफ से आता है। लेकिन कई कर्मचारी होते हैं तो अधिक उम्र में सरकारी सेवा जॉइन करते हैं। इनमें से कुछ कोर्ट ऑर्डर्स के चलते पूरा फायदा नहीं ले पाते हैं। वहीं, ओल्ड पेंशन स्कीम में इनमें से कुछ कर्मचारी पेंशन के पात्र भी नहीं होते।

तैयार हो रहा फॉर्मूला

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एक अच्छे रिटायरमेंट बेनिफिट के लिए व्यक्ति को 30 साल या उससे अधिक समय तक निवेश करते रहना चाहिए। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता वाली समिति कर्मचारियों के साथ-साथ केंद्र और राज्यों की सरकारों के हितों की रक्षा के लिए एक फॉर्मूला तैयार कर रही है। एनपीएस ट्रस्ट वेबसाइट पर एक एनालिसिस से पता चलता है कि कैसे एक कर्मचरी द्वारा चुना गया टेन्योर और एन्यूटी की राशि पूरी सेवा अवधि के लिए एक निश्चित योगदान के साथ एक बड़ा अंतर ला सकती है।

पुरानी पेंशन स्कीम में हैं ये फायदे


अभी तक, केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) में किसी तरह की वापसी से इनकार किया है। वहीं, कई विपक्षी दलों शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपना लिया गया है। ओपीएस में कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता था। इस स्कीम में सरकार कर्मचारी को पेंशन के रूप में उसके अंतिम वेतन की 50 फीसदी राशि देती थी। इसे साल में दो बार महंगाई के हिसाब से बढ़ाया जाता था। साथ ही हर 10 साल में नए वेतन आयोग का फायदा भी मिलता था। इसमें काफी ज्यादा खर्चा होता था। इससे आम जनता के कल्याण और विकास पर खर्च करने की क्षमता सीमित होती है।

चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा उठाना जरूरी

एक अधिकारी ने बताया, 'आवाजें कहां से आ रही हैं? यह मुख्य रूप से उन लोगों से आ रही है 20 साल भी पूरे किये बिना योजना से बाहर निकल चुके हैं। एनपीएस में बेनेफिट्स का एक बड़ा हिस्सा लंबी अवधि में चक्रवृद्धि ब्याज के चलते आता है।' सरकार ने जनवरी 2004 से सरकारी सेवा में शामिल हुए सभी कर्मचारियों के लिए एनपीएस अनिवार्य कर दिया था। कुछ वर्षों बाद मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग सभी राज्यों ने इस स्कीम को अपना लिया था।

क्यों कम रहता है रिटर्न?

सरकारी एनपीएस चलाने वाले तीन फंड मैनेजर्स के बीच रिटर्न 9.37% और 9.6% के बीच रहता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि स्कीम से बाहर निकलने वाले बहुत से सरकारी कर्मचारियों ने एन्यूटी की खरीद के लिए केवल 40 फीसदी कॉर्पस का उपयोग किया। इससे उनकी मंथली इनकम कम हो जाती है। इसके अलावा कई ने पर्चेज प्राइस की वापसी के साथ एन्यूटी का विकल्प चुना, जो सबसे कम रिटर्न ऑफर करता है, क्योंकि इनिशियल कॉर्पस वापस कर दिया जाता है। यह ओल्ड पेंशन स्कीम के विपरीत है। वहां पेंशन के साथ ही पति या पत्नी के लिए फैमिली पेंशन (फुल पेंशन का 50 फीसदी) भी है और इसलिए यहां पूंजी की वापसी शामिल नहीं है।


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