जल्दी का काम शैतान का छोटा रास्ता और पहले पहुंचने की चक्कर में चांद पर ही लूना-25 ने तोड़ दिया दम
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21-08-2023 12:32 PM
मॉस्को: रूस के लूनर मिशन लूना-25 के रविवार को चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग के साथ ही मिशन की सारी उम्मीदें भी खत्म हो गई। सन् 1976 के बाद रूस ने अंतरिक्ष में वापसी की थी। सोमवार को लूना-25 को चंद्रमा पर उतरना था मगर ऐसा हो न सका। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि की गई। कई वैज्ञानिकों की मानें तो रूस की चंद्रमा पर जल्दी और पहले पहुंचने की जिद ने इस मिशन का दुखद अंत किया है। वहीं इन वैज्ञानिकों ने भारत के चंद्रयान-3 की तारीफों के पुल भी बांधे हैं। लूना-25 को 11 अगस्त को लॉन्च किया गया था।
चांद से टकराकर हुआ क्रैश रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने शनिवार को लूना के 'असामान्य स्थिति' में फंसे होने की जानकारी दी थी। अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को इसके क्रैश होने की खबर दी। एजेंसी का कहना था कि स्पेसक्राफ्ट से उसका संपर्क टूट गया था क्योंकि वह लैंडिंग से पहले की कक्षा में चला गया था। रोस्कोस्मोस ने कहा कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि लूना-25 के मैनुवर के समय वास्तविक और अनुमानित गणना में विचलन हुआ था। इस वजह से स्पेसक्राफ्ट एक ऐसी कक्षा में चला गया जिसकी उम्मीद नहीं थी। इसी वजह से यह चांद से टकराकर क्रैश हो गया।
शॉर्टकट बना दुश्मन 19 और 20 अगस्त को डिवाइस तलाशने की कोशिशें भी की गईं, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। रशियनस्पेस वेब के पब्लिशर अनातोली जक ने इस क्रैश के पीछे की वजहों का अंदाजा लगाया है। उन्होंने कहा कि लूना-25 का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम बेहद कमजोर था। इसे कई बार सुधारा गया था। वहीं भारत के चंद्रयान 3 समेत अमेरिका और चीन ने मिशन के लिए जो रास्ता चुना, रूस ने उसे नजरअंदाज कर दिया। एक अति महत्वाकांक्षी लैंडिंग इस पूरी असफलता की सबसे बड़ी वजह है।
लूना-25 के वैज्ञानिक संचालन का नेतृत्व करने वाले रूस की साइंस एकेडमी के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीनियर साइंटिस्ट नतान ईस्मोंट ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया गया कि स्पेसक्राफ्ट में जो इंजन लगा था उसमें जब आग लगी तो स्पेसक्राफ्ट की डिजाइन ऐसी नहीं थी जो इसकी गति के साथ खुद को एडजस्ट कर सके। जोर से लगे ब्रेक
उन्होंने पर्यवेक्षकों का हवाला देते हुए कहा कि यान सुधार उस तरह से नहीं हुए थे जैसे होने चाहिए थे। साफ है कि यह भटक गया था। इस्मोंट ने साफ कर दिया कि वह सीधे तौर पर मिशन से जुड़े नहीं थे।उनकी मानें तो मिशन कंट्रोलर्स आखिरी समय तक इस समस्या से लड़ते रहे। लेकिन आखिरी बार जब लूना-25 को लैंडिंग से पहले एक कक्षा में जाना था तो उस समय एक बड़े धक्का की जरूरत थी। ऐसा लगता है कि योजना के मुताबिक वह हो नहीं सका। लेना चाहिए था थोड़ा और समय उन्होंने आखिरी में कहा कि शायद ब्रेक जोर से लगाए गए या फिर स्पेसक्राफ्ट बहुत तेज था या हो सकता है कि यह गलत दिशा में था। इस्मोंट का कहना था कि शायद मिशन मैनेजर्स को और ज्यादा समय लेना चाहिए था। वैज्ञानिक और अंतरिक्ष विशेषज्ञ क्रैश के पीछे की वजहों का अंदाजा लगा रहे हैं। जबकि रोस्कोस्मोस ने लूना-25 की दुर्घटना की जांच के लिए पहले ही एक टीम का गठन कर दिया है।
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