भारत में रेप विक्टिम को पहले दुष्कर्म का दर्द झेलना पड़ता है. उसके बाद इंसाफ के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान समाज का दंश झेलना पड़ता है. यही वजह है कि कई रेप विक्टिम्स अपने साथ हुए अपराध को छिपा जाती हैं. साथ ही जो साहस कर सामने आती भी हैं, वो भी कानूनी लड़ाई के दौरान हार कर कई बार अपने कदम पीछे खींच लेती है. ग्वालियर में साल 2021 में हुए एक गैंगरेप मामले में कुछ ऐसा ही हुआ था.
इस रेप केस में एक अधेड़ महिला के साथ दो लोगों ने रेप किया था. महिला को निवस्त्र और घायल अवस्था में छोड़कर आरोपी फरार हो गए थे. महिला एक हफ्ते अस्पताल में पड़ी रही थी. पुलिस को शुरुआत में दिए बयान में महिला ने रेपिस्ट की पहचान की थी. लेकिन जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो महिला ने आरोपियों को पहचानने से इंकार कर दिया. पुलिस ने इसके बाद केस बंद करने की तैयारी कर दी थी लेकिन ग्वालियर जिला कोर्ट ने सारे सबूतों के आधार पर आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुना कर इतिहास रच दिया.
ये था मामला
दुष्कर्म का ये मामला मार्च 2021 में सामने आया था. पीड़िता हलवाइयों के साथ शादी-पार्टी में पुरी बेलने का काम करती थी. घटना वाले दिन महिला के घर एक शख्स ने आकर उसे ठेकेदार दिलीप के पास चलने को कहा. महिला उसके साथ चली गई. अज्ञात शख्स और दिलीप ने उसे सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. उसे घायल कर दिया और बिना कपड़ों के वहीं छोड़ दिया. अगले दिन तक महिला बेहोश रही. जब आसपास के लोगों ने उसे देखा तो पुलिस को सूचना दी गई. अस्पताल में महिला ने आरोपियों का नाम लिया था.
यूं सुनाया फैसला
अपने बयान में महिला ने आरोपियों की पहचान की थी लेकिन कोर्ट में वो मुकर गई. लेकिन कोर्ट ने रेप केस की जांच के दौरान मिले डीएनए रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई. महिला की बॉडी से मिले स्पर्म दिलीप ठेकेदार और अज्ञात शख्स, जिसकी पहचान राजू के तौर पर हुई, के पाए गए थे. इसी आधार पर कोर्ट ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई.