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रूस की मांगें पूरी होने तक नहीं होगा अनाज निर्यात, पुतिन की तुर्की के 'तानाशाह' एर्दोगन को दो-टूक

Updated on 05-09-2023 02:12 PM
मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को कहा कि पश्चिमी देश जब तक रूसी कृषि निर्यात की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करते हैं, तब तक यूक्रेन को काला सागर के रास्ते अनाज के सुरक्षित निर्यात की अनुमति के लिए समझौते को बहाल नहीं किया जाएगा। पुतिन ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के साथ सोमवार को हुई वार्ता के बाद यह घोषणा की। एर्दोगन ने यूक्रेन को अपने अनाज का सुरक्षित तरीके से निर्यात करने की अनुमति देने वाले मूल समझौते में संयुक्त राष्ट्र के साथ मध्यस्थता की थी। इस समझौते को वैश्विक खाद्यान्न आपूर्ति, विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिम एशिया और एशिया में आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था। यूक्रेन और रूस गेहूं, जौ, सूरजमुखी तेय और अन्य उत्पादों के बड़े आपूर्तिकर्ता हैं।


रूस ने जुलाई में तोड़ा था समझौता

रूस ने जुलाई में समझौते को आगे बढ़ाने से मना कर दिया था। उसने शिकायत की थी कि खाद्य और उर्वरक के रूसी निर्यात में बाधाओं को दूर करने का वादा करने वाले समानांतर समझौते का सम्मान नहीं किया गया है। रूस ने कहा कि पोत परिवहन और बीमा पर प्रतिबंध के कारण उसके कृषि व्यापार में बाधा आई है, हालांकि उसने पिछले साल से रिकॉर्ड मात्रा में गेहूं की आपूर्ति की है।

पुतिन बोले- शर्तें मानों फिर समझौते में होंगे शामिल


पुतिन ने कहा कि अगर इन प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया जाता है तो रूस आने वाले दिनों में समझौते में शामिल हो सकता है। पुतिन ने यह भी कहा कि रूस छह अफ्रीकी देशों को मुफ्त अनाज मुहैया करने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि रूस 10 लाख मीट्रिक टन सस्ता अनाज प्रसंस्करण के लिए और गरीब देशों में आपूर्ति के लिए तुर्किये को भेजेगा।

एर्दोगन ने खूब की मनाने की कोशिश

इससे पहले तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने पुतिन को इस बात के लिए मनाने का प्रयास किया कि यूक्रेन को रूस के साथ युद्ध के बावजूद काला सागर के तीन बंदरगाहों से खाद्यान्न और अन्य सामग्री का निर्यात करने की अनुमति देने के समझौते को फिर से लागू किया जाए। एर्दोगन ने कहा कि रूस के काला सागर रिसॉर्ट शहर सोच्चि में दोनों नेताओं के बीच दिनभर चली बातचीत में खाद्यान्न समझौता प्रमुख रहा।

दुनिया में भुखमरी का खतरा

चाथम हाउस थिंकटैंक के खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ टिम बेन्टन ने कहा, ''मुझे आभास हो रहा है कि पुतिन खाद्यान्न को आर्थिक हथियार के रूप में उपयोग करने के लाभ को पहचानते हैं, और इस प्रकार वह अपनी इच्छा-सूची में रियायतों के संदर्भ में जो कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए लड़ेंगे।'' रूस के इस समझौते से पीछे हटने से दुनियाभर के कई देशों में भुखमरी के मामले बढ़ने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र भी रूस से इस समझौते पर वापस लौटने की अपील कर चुका है।


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