मप्र में काम करने वाले एनजीओ (नॉन गवर्मेंट ऑर्गनाइजेशन) पर सरकार द्वारा सख्ती की जा रही है। समाजसेवा के नाम पर अनुदान लेने वाले इन एनजीओ से उनके द्वारा बीते 3 से 15 साल में किए गए काम की जानकारी मांगी जा रही है।
अब तक यह जानकारी केवल उन एनजीओ से मांगी जा रही थी, जो सामाजिक न्याय विभाग के साथ काम कर रहे थे, लेकिन अब महिलओं, बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांगजन, भिखारी मुक्त प्रदेश बनाने समेत अन्य विषयों पर काम करते हैं। इतना ही नहीं, वन्य जीव और वन क्षेत्रों में काम करने वाले एनजीओ को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।
ऐसे एनजीओ से कुल 9 बिंदुओं की जानकारी मांगी जा रही है। इसमें उनको मिलने वाले फंड की जानकारी के साथ एनजीओ द्वारा किए जा रहे काम की भी जानकारी पूछी गई है। इन बिंदुओं में से 50 परसेंट क्राइटेरिया पर खरे उतरने वाली संस्थाओं को आगे काम दिए जाने की रिकमंडेशन की जाएगी।
बिंदुओं में दिए गए जवाब के आधार पर ही ग्रेडिंग की जाएगी। सबसे अधिक फोकस एरिया सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग-जन सशक्तीकरण विभाग की तरफ से प्रदेश के वृद्धाश्रम एवं नशामुक्ति केंद्रों का संचालन पर है। जानकारी मिली है कि सरकार के पास ऐसे एनजीओ को लेकर शिकायत आई हैं कि वे काम ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं।