अर्श से फर्श तक... कभी दुनिया के छठे बड़े रईस रहे अनिल अंबानी कैसे हुए दिवालिया, जानिए पूरी कहानी
Updated on
24-08-2024 05:41 PM
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अनिल अंबानी को बड़ा झटका देते उन्हें पांच साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है। रिलायंस होम फाइनेंस में पैसों के हेरफेर के मामले में उन पर यह कड़ी कार्रवाई की गई है। सेबी के 222 पन्नों के आदेश में जुड़ी कंपनियों को लोन देने की आड़ में पैसों की हेराफेरी की। सेबी ने साथ ही अंबानी पर ₹25 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। कभी दुनिया के छठे बड़े रईस रहे अनिल अंबानी आज दिवालिया हो चुके हैं। उनकी कई कंपनियां इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में फंसी हैं। अनिल अंबानी के अर्श से फर्श पर पहुंचने की कहानी...
दुनिया के छठे बड़े रईस
अनिल अंबानी की वित्तीय परेशानियां कोई नई बात नहीं हैं। फरवरी 2020 में, उन्होंने कानूनी और वित्तीय चुनौतियों की एक सीरीज के बीच ब्रिटेन की एक अदालत में खुद को दिवालिया बताया। साल 2008 में $42 बिलियन की नेटवर्थ के साथ वह दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन पिछले कुछ साल में उनकी नेटवर्थ में तेजी से गिरावट आई। अनिल अंबानी की कारोबारी यात्रा काफी उतार-चढ़ाव से भरी रही है।
बिजनस का बंटवारा
बिजनस की दुनिया में उनका उभार 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी को 1986 में स्ट्रोक हुआ था। अनिल ने रिलायंस के वित्तीय लेन-देन के डे-टु-डे मैनेजमेंट को संभाला। साल 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने संयुक्त रूप से रिलायंस का नेतृत्व किया। हालांकि 2005 में कंट्रोल को लेकर विवादों के कारण भाइयों के बीच विभाजन हो गया। मुकेश के हिस्से में तेल और पेट्रोकेमिकल बिजनस आया जबकि अनिल को टेलिकॉम, पावर और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे नए वेंचर मिले।
नए सेक्टर्स में एंट्री
अनिल अंबानी के इन्फ्रा, रक्षा और मनोरंजन सहित विभिन्न क्षेत्रों में एंट्री मारी लेकिन उन्हें सीमित सफलता मिली। उत्तर प्रदेश के दादरी में एक गैस-आधारित एक मेगा बिजली परियोजना स्थापित करने के उनके प्रयास को उस समय बड़ा झटका लगा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2009 में भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया। एडलैब्स और ड्रीमवर्क्स के साथ डील भी मनोरंजन उद्योग में अपेक्षित फायदा देने में विफल रही।
जेल जाने की नौबत
जब उनकी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पर कर्ज बढ़ने लगा तो वित्तीय संकट गहरा गया। साल 2019 में कंपनी को इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में चली गई। उसी साल आरकॉम विदेशी कंपनी एरिक्सन AB की भारतीय यूनिट को ₹550 करोड़ का भुगतान करने में विफल रही और अनिल अंबानी के जेल जाने की नौबत आ गई। मुकेश अंबानी ने ऐन मौके पर अपने भाई की मदद की और उन्हें जेल जाने से बचा लिया।
चौतरफा मुश्किल
अनिल अंबानी की चुनौतियां उस समय और बढ़ गई, जब चीन के बैंकों ने $680 मिलियन के लोन डिफॉल्ट को लेकर लंदन की एक अदालत में अंबानी पर मुकदमा दायर किया। साल 2012 में RCom को ऋण दिए गए थे, जिसमें अनिल ने कथित तौर पर व्यक्तिगत गारंटी दी थी। अंबानी ने अदालत में तर्क दिया कि उन्होंने केवल एक गैर-बाध्यकारी लेटर दिया था। यह मामला अब भी अदालत में है। साल 2021 में रिलायंस कैपिटल भी ₹24,000 करोड़ के बॉन्ड पर डिफॉल्ट करने के बाद इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में चली गई।
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