Select Date:

हार के कारणों की खोज तो जीत के अन्तर को लेकर चिन्ता

Updated on 23-06-2024 03:50 PM
 लोकसभा चुनाव के बाद तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार गठित हो गई है तो वहीं उनके सामने एक मजबूत प्रतिपक्षी दल कांग्रेस भी सदन में मौजूद होगा। भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दल जिन्हें जहां कहीं अपनी अपेक्षा के अनुरुप नतीजे नहीं मिले हैं वह इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि आखिर वे क्या कारण हैं जिनके चलते हुए उन्हें उनकी अपेक्षा के अनुसार प्रतिसाद नहीं मिला है। कांग्रेस उन राज्यों में समीक्षा कर रही है जहां उसे उम्मीद से कम सफलता मिली है और ऐसा ही कुछ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी भी कर रही है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी इस बात को लेकर चिंतन करते हुए कारण खोजने की कोशिश कर रही है कि कुछ क्षेत्रों में उसे अपेक्षा से कम लीड क्यों मिली। बीजू जनता दल और केसीआर की बीआरएस पार्टी को भी इस बात की समीक्षा करना चाहिये कि आखिर उसे मतदाताओं ने इस बुरी तरह क्यों नकार दिया। पंजाब और दिल्ली में जो चुनाव नतीजे आए उनको लेकर आम आदमी पार्टी का भी चिंतित होना स्वाभाविक है। महाराष्ट्र में तो हार के बाद भाजपा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को इन चुनावों में गहरी निराशा क्यों हाथ लगी जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को अच्छी-खासी सफलता मिली। इस राज्य में भाजपा सिंगल डिजिट में आ गई है और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गठबंधन को मतदाताओं ने हाथों-हाथ लिया है। कांग्रेस ने तो कुछ राज्यों में कारणों की खोज के लिए वरिष्ठ नेताओं की समितियां भी बना दी हैं। इन राज्यों में मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़  भी शामिल हैं। 
       कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सांसद राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया है कि वह उत्तरप्रदेश की रायबरेली की उस परम्परागत सीट को अपने पास रखेंगे जिसका प्रतिनिधित्व उनके दादा , फिरोज गांधी, दादी श्रीमती इंदिरा गांधी  और माता सोनिया गांधी ने किया था। वायनाड की उनके द्वारा सीट खाली की गयी है वहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। इस प्रकार संसदीय राजनीति में लोकसभा के माध्यम से प्रवेश करने की दिशा में प्रियंका गांधी सधे हुए कदमों से आगे बढ़ती नजर आ रही हैं। देखने वाली बात यही होगी कि अमेठी में गांधी परिवार के विश्वासपात्र किशोरी लाल शर्मा से डेढ़ लाख मतों से हारने वाली स्मृति ईरानी वायनॉड में प्रियंका गांधी का मुकाबला करने का साहस करेंगी या नहीं, क्योंकि वहां पर असली चुनावी मुकाबला कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और वामपंथियों के नेतृत्व वाले एलडीएफ में ही होता रहा है। पहली बार केरल में भाजपा ने अपना खाता तो खोल दिया है और उसके मतों में भी वृद्धि हुई, लेकिन पूरे राज्य में अभी भाजपा का इतना असर नहीं है कि श्रीमती ईरानी प्रियंका गांधी को कोई बड़ी चुनौती दे पायें। यदि स्मृति ईरानी वहां से चुनाव लड़ती हैं तो फिर देखने वाली बात यह होगी कि वह दो मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में अपना स्थान बना पाती हैं या चुनावी लड़ाई यूडीएफ और एलडीएफ के बीच होगी।
कांग्रेस ने गठित की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी
       लोकसभा चुनाव में अपनी खराब परफारमेंस को लेकर कांग्रेस हाईकमान फिलहाल सख्त रुख अपनाने के मूड में दिख रहा है। मध्यप्रदेश सहित आठ राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। यदि यहां उसका प्रदर्शन कुछ अच्छा होता तो देश  का राजनीतिक परिदृश्य कुछ बदलाहट   लिए हो सकता था। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को और अधिक निराशा हाथ लगी है क्योंकि इस बार उसे एक भी लोकसभा सीट पर सफलता नहीं मिली। यहां तक कि किसी आमचुनाव में संभवतः पहली बार कांग्रेस का  छिंदवाड़ा का किला भी ढह गया है । वैसे ऐसा नहीं है कि यहां कभी कांग्रेस की पराजय न हुई हो, लोकसभा के एक उपचुनाव में कांग्रेस के कमलनाथ को पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने पराजित कर दिया था और यह उपचुनाव स्वयं कमलनाथ के द्वारा ही लादा गया था, क्योंकि जब कांग्रेस हाईकमान ने उनकी जगह उनकी पत्नी  अलका नाथ को टिकट दिया और वह सांसद बन गईं  तो कुछ वर्ष बाद उनसे त्यागपत्र दिलाकर कमलनाथ स्वयं सांसद बनना चाहते थे लेकिन उनकी इन उम्मीदों पर  छिंदवाड़ा के मतदाताओं ने पानी फेर दिया और दूसरी बार उस समय पानी फेरा जब उनके पुत्र कांग्रेसी सांसद नकुल नाथ को भाजपा के विवेक साहू ने भारी मतों के अन्तर से पराजित कर दिया जबकि साहू को कमलनाथ विधानसभा चुनाव में दो बार पटकनी दे चुके थे। कांग्रेस आलाकमान को भी इस बात से झटका लगा कि उसका एक मजबूत किला ढह गया जो कि 1977 की प्रचंड जनता लहर में भी सुरक्षित रहा था। कांग्रेस ने  मध्यप्रदेश के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई है जिसमें महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, गुजरात के फायर ब्रांड कांग्रेस नेता विधायक जिग्नेश मेवानी  और उड़ीसा के सांसद सप्तगिरि  उल्का हैं। यह समिति उन कारणों का पता लगायेगी जिसके कारण राज्य से पहली बार कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में सफाया हो गया है। सवाल यह है कि क्या यह फैक्ट फाइंडिंग कमेटी कांग्रेस में व्याप्त गुटबंदी की उस तह तक पहुंच सकेगी जिसके चलते हर बड़ा  नेता यह मानता है कि उसका गधा सामने वाले के घोड़े  से अधिक बेहतर है।
और यह भी
         एक तरफ मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अभी तक का सबसे निराशाजनक रहा है और इसके लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन हुआ तो इसके साथ ही कानाफूसी में जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की जो खबरें चल रही थीं वे अचानक तेज हो गयीं हैं। इन चर्चाओं को उस समय विराम लगता नजर आया जब प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी जीतेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्हें हटाने की चर्चायें निराधार हैं क्योंकि जीतू को काम करने का बहुत ही कम समय मिला है और पटवारी अभी काम करते रहेंगे। एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है, यह खबर केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है। पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बने हुए कुछ ही समय हुआ है और उन्हें काम करने का कम मौका मिला है, अभी संगठन में मजबूती के साथ अन्य कई काम बाकी हैं। जीतेन्द्र सिंह ने यह स्वीकार किया कि मध्यप्रदेश में संतोषजनक परिणाम नहीं आये हैं इसीलिए प्रदेश में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया है जिसमें वरिष्ठ नेता शामिल हैं। चुनाव के दौरान जो कमियां रही होंगी उन्हें दूर किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में अभी तक केवल प्रदेश अध्यक्ष को मनोनीत किया गया है तथा वे कुछ पुराने पदाधिकारियों के साथ मिलकर अपना कामकाज कर रहे हैं। आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है तथा हेमंत कटारे उपनेता बनाये गये हैं। इससे लगता है कि प्रदेश कांग्रेस के गठन में कांग्रेस सभी क्षेत्रों, वर्गों और जातियों को स्थान देने का प्रयास करेगी ताकि वह अपनी खोई जमीन को फिर से पा सके। कांग्रेस के लिए फिलहाल तो मध्यप्रदेश में उर्वरा जमीन नजर नहीं आ रही है क्योंकि कांग्रेस ज्यादातर ट्वीटर व सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और विभिन्न चैनलों पर होने वाली बहसों तक सिमट कर रह गयी है। जमीन से कटे लेकिन नेताओं की गणेश परिक्रमा करने वाले लोगों को जब तक चिन्हित कर कांग्रेस उनकी जगह नये मैदानी व जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं देगी तब तक कोई खास बदलाव होने वाला नहीं है।

-अरुण पटेल
-लेखक, संपादक

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 16 November 2024
महाराष्ट्र में भाजपानीत महायुति और कांग्रेसनीत महाविकास आघाडी के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव जीतना राजनीतिक  जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने शुरू में यूपी के…
 07 November 2024
एक ही साल में यह तीसरी बार है, जब भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान और मतगणना की तारीखें चुनाव कार्यक्रम घोषित हो जाने के बाद बदली हैं। एक बार मतगणना…
 05 November 2024
लोकसभा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं।अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह को विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 की 29 …
 05 November 2024
चिंताजनक पक्ष यह है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं, जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये…
 04 November 2024
छत्तीसगढ़ के नीति निर्धारकों को दो कारकों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है एक तो यहां की आदिवासी बहुल आबादी और दूसरी यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यस्था। राज्य की नीतियां…
 03 November 2024
भाजपा के राष्ट्रव्यापी संगठन पर्व सदस्यता अभियान में सदस्य संख्या दस करोड़ से अधिक हो गई है।पूर्व की 18 करोड़ की सदस्य संख्या में दस करोड़ नए सदस्य जोड़ने का…
 01 November 2024
छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
 01 November 2024
संत कंवर रामजी का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। उनके…
 22 October 2024
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…
Advertisement