नई दिल्ली । कोविड-19 को दुनिया में फैलाने के आरोपों से घिरे चीन को अपनी ही कोरोना वैक्सीन पर भरोसा नहीं है? दरअसल, कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए बन रही वैक्सीन की दौड़ में चीन खुद को आगे बता रहा है। लेकिन उसने खुद के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दस करोड़ खुराक की खरीद का सौदा जर्मनी के साथ किया है। ऐसे में अब ये सवाल उठ रहे हैं, क्या चीन कोरोना वैक्सीन को लेकर विश्व को गुमराह तो नहीं कर रहा?
फाइजर अमेरिका और बायोएनटेक जर्मनी की कंपनी है। दोनों ने मिलकर कोरोना से बचाव की वैक्सीन विकसित की है। इससे साबित हो रहा है कि चीन की वैक्सीन बनने में अभी विलंब है या उसे अपनी वैक्सीन पर पर्याप्त भरोसा नहीं है। चीन ने अपनी वैक्सीन का आसियान देशों, ब्राजील, मेक्सिको और अरब देशों में परीक्षण कर रहा है। कुछ देशों के साथ उसने वैक्सीन बेचने के अग्रिम सौदे भी कर लिए हैं।
बता दें कि चीन की वैक्सीन के क्या नतीजे रहे हैं, इसे उसने सार्वजनिक नहीं किया है। अन्य देशों द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन की तरह उसने सफलता का प्रतिशत भी नहीं बताया है। अब वह अपने नागरिकों और प्रमुख व्यक्तियों के लिए फाइजर की विकसित वैक्सीन खरीद रहा है। इससे संदेश जा रहा है कि चीन अपने उत्पाद को लेकर संशय में है। वैसे आसियान देश- थाइलैंड, फिलीपींस और मलेशिया ने भी फाइजर और एस्ट्राजेनेका की खरीद का सौदा कर लिया है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि अग्रणी दवा कंपनी फाइजर के कोरोना टीके की अतिरिक्त खेप के लिए वह लगातार बातचीत कर रहे हैं। स्वास्थ्य और मानव सेवा मंत्री एलेक्स अजार और विशेष सलाहकार डॉ। मोंसेफ सलाओई ने संवाददाताओं को बताया कि फाइजर ने टीका आपूर्ति के लिए समय सीमा नहीं बताई है और यही मूल मुद्दा है। कंपनी की तरफ से इस पर कोई बयान नहीं आया है। कंपनी के सीईओ एल्बर्ट बौरला ने इस सप्ताह बताया था कि वह संघीय ऑपरेशन 'वार्प स्पीड' के जरिये टीके की अतिरिक्त खेप की आपूर्ति के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। कोरोना के टीके के निर्माण में तेजी लाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की गई थी।