नई दिल्ली ।दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन को लेकर परीक्षण चल रहे हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में देशों के बीच सबसे पहले वैक्सीन बनाने की दौड़ लगी है। इसी बीच रूस दावा कर चुका है कि उसकी बनाई हुई वैक्सीन स्पुतनिक-5 कोरोना पर प्रभावी है और उसने इसे दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन कहा है। लेकिन दूसरी जगहों पर भी वैक्सीन पर लगातार काम हो रहा है। एस्ट्राज़ेनेका भी अपने टीके पर लगातार काम कर रहा है। रूस की कोरोना वैक्सीन स्तुपनिक के डेवलपर्स ने गुरुवार को कहा एस्ट्राज़ेनेका को अपनी एफिशियेंसी बढ़ाने के लिए रूसी टीके के शॉट को मिलाकर प्रयोग करके देखना चाहिए। रूस ने कहा कि उसकी वैक्सीन स्पुतनिक-5 कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए 92% प्रभावी है जबकि एस्ट्रजोनेका ने कहा इसके परीक्षण में पता चला है कि इसकी वैक्सीन कोविड-19 ते खिलाफ 70 प्रतिशत तक प्रभावी और आगे ये कोरोना पर 90 प्रतिशत तक प्रभावी हो सकती है। रूसी टीके के डेवलपर्स ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए कहा, "अगर वे नए क्लिनिकल ट्रायल के लिए जाते हैं, तो हम उन्हें मानव एडेनोवायरल वेक्टर के साथ शॉट के संयोजन के एक प्रयास को कारगर बनाने का सुझाव देते हैं। टीकाकरण के लिए टीके का संयोजन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि 2020 के अंत तक इसकी वैक्सीन की कुल 200 मिलियन खुराकें होंगी। ब्रिटिश विकसित वैक्सीन को कई विकासशील देशों के लिए सबसे अच्छी उम्मीदों के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसकी सस्ती कीमत और इसमें सामान्य फ्रिज के तापमान पर ले जाने की क्षमता है। रूस में कोरोना वायरस के 2,187,990 मामले हैं जो अमेरिका भारत और ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा हैं. यानी रूस दुनिया में कोरोना के केसों के मामले में चौथे नंबर पर है।