भारत के रतन का जाना...भारतीय उद्यम के अग्रदूत रतन टाटा को पीएम मोदी ने यूं किया याद
Updated on
09-11-2024 03:05 PM
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के करीब एक महीने बाद एक आर्टिकल लिखा है। इसमें उन्होंने रतन टाटा को कई तरह से याद किया है। इस लेख में पीएम मोदी ने लिखा है कि उनकी कमी भारत समेत पूरी दुनिया में महसूस की जा रही है। लेख में पीएम मोदी ने लिखा है कि वह युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे। लेख में पीएम मोदी ने उनके जानवरों के प्रति प्रेम के बारे में भी लिखा है।
रतन टाटा को हमें छोड़े हुए एक महीना हो गया है। व्यस्त शहरों और कस्बों से लेकर गांवों तक, समाज के हर वर्ग में उनकी कमी महसूस की जा रही है। अनुभवी उद्योगपति, नवोदित उद्यमी और मेहनती पेशेवर उनके जाने से दुखी हैं। पर्यावरण के प्रति जुनूनी और परोपकार के लिए समर्पित लोग भी उतने ही दुखी हैं। उनकी कमी न केवल पूरे देश में बल्कि पूरी दुनिया में महसूस की जा रही है।
युवाओं के लिए रतन टाटा एक प्रेरणा थे। उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना या कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त न किया जा सके। उन्होंने सिखाया कि विनम्र स्वभाव से दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने दूसरों के लिए भारतीय उद्यम की बेहतरीन परंपराओं और ईमानदारी, उत्कृष्टता और सेवा के मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। इसके बावजूद उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।
रतन टाटा का दूसरों के सपनों के लिए अटूट समर्थन उनके सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में वे भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और कई भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने जाते हैं। वे युवा उद्यमियों की आशाओं और आकांक्षाओं को समझते थे और भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचानते थे।
भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके उन्होंने सपने देखने वालों की एक पीढ़ी को साहसिक जोखिम लेने और सीमाओं को आगे बढ़ाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने इनोवेशन और उद्यमिता की संस्कृति बनाने में एक लंबा रास्ता तय किया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दशकों में भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा। उन्होंने लगातार उत्कृष्टता की वकालत की, भारतीय उद्यमों से वैश्विक मानक स्थापित करने का आग्रह किया। मुझे उम्मीद है कि यह दृष्टि हमारे भविष्य के नेताओं को भारत को विश्व स्तरीय गुणवत्ता का पर्याय बनाने के लिए प्रेरित करेगी।
उनकी महानता बोर्डरूम या साथी मनुष्यों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। उनके मन में जीव-जंतुओं के प्रति भी करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्यार जगजाहिर था और उन्होंने पशु कल्याण पर केंद्रित हर संभव प्रयास का समर्थन किया। वह अक्सर अपने कुत्तों की तस्वीरें साझा करते थे, जो किसी भी व्यावसायिक उद्यम की तरह उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। उनका जीवन हम सभी को याद दिलाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल किसी की उपलब्धियों से नहीं, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की क्षमता से मापा जाता है।
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