लंबे समय से जिला अध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की कवायद में लगे मप्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीते 4 अप्रैल को इंदौर में मीडिया से कहा था-
दिल्ली में सारे जिलाध्यक्षों की बैठक हुई। अभी मप्र में भी 10 से 20 मई के बीच ट्रेनिंग है। हमारा नया संगठन भी बन रहा है। ब्लॉक और जिला अध्यक्षों के जितने भी बदलाव होंगे वे इसी बीच में होंगे।
पटवारी के इस बयान के बाद अहमदाबाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में जिला अध्यक्षों के पावर बढ़ाने पर मुहर तो लगी, लेकिन इनके चयन को लेकर पार्टी आलाकमान ने नया क्राइटेरिया तय कर दिया। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अधिवेशन में इसकी घोषणा करते हुए पटवारी की 6 महीने से जारी फिल्डिंग पर पानी फेर दिया। राहुल की घोषणा के अनुसार अब मप्र में भी जिला अध्यक्षों का चयन गुजरात मॉडल के अधार पर होगा। चयन के लिए दिल्ली एआईसीसी से ऑब्जर्वर नियुक्त किया जाएगा।
दिल्ली से नियुक्त होंगे ऑब्जर्वर कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि गुजरात में जिस तरह जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई है, मप्र में भी उसी पैटर्न पर जिला अध्यक्षों के नाम खोजे जाएंगे। एमपी के सभी 55 जिलों में AICC की ओर से हर जिले के लिए एक ऑब्जर्वर नियुक्त किया जा सकता है। एमपी कांग्रेस की ओर से भी ऑब्जर्वर जिला अध्यक्ष के नाम खोजने में मदद करेंगे।
अब जानिए गुजरात में कैसे चुने जाएंगे कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते मंगलवार को अहमदाबाद में कहा- जिला अध्यक्षों को संगठन की नींव बनाएं, शक्ति बनाएं। डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी और डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट को हम पार्टी की फाउंडेशन बनाने जा रहे हैं। कांग्रेस ने 12 अप्रैल को गुजरात के 33 जिलों और 8 प्रमुख शहरों में पार्टी अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए 42 केंद्रीय और 183 प्रदेश स्तर के पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं।
हर जिले में पार्टी अध्यक्ष चुनने के लिए पांच सदस्यों की समिति बनाई जाएगी। इसमें एक केंद्रीय और चार राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक शामिल होंगे। ये समितियां अपने-अपने जिले का दौरा करेंगी और जिलाध्यक्ष के चयन से पहले स्थानीय नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगी। गुजरात में पूरी प्रक्रिया 45 दिनों में पूरी हो जाएगी।
अभी गुजरात में पायलेट शुरू हुआ एमपी कांग्रेस के संगठन प्रभारी संजय कामले ने बताया- अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी के संगठन में एक बड़ा परिवर्तन आया है। नई व्यवस्था में पार्टी जिला अध्यक्षों के माध्यम से काम करना शुरू करेगी। गुजरात में इसका पायलेट प्रोजेक्ट चल रहा है। बहुत सारे ऑब्जर्वर वहां गए हैं। जिला अध्यक्षों के चयन की एक नई प्रक्रिया सामने आई है। यह प्रक्रिया गुजरात के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि मप्र में भी इसी प्रक्रिया से अध्यक्ष चुने जाएंगे या नहीं।
जिला अध्यक्षों में दलित, आदिवासी, ओबीसी अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता एमपी में कांग्रेस के मौजूदा जिला अध्यक्षों की बात करें तो प्रदेश में पार्टी के 72 संगठनात्मक जिलों में से 66 में वर्तमान में जिलाध्यक्ष हैं। 6 जिलों में अध्यक्ष के पद रिक्त हैं। सतना शहर में एक मात्र अल्पसंख्यक वर्ग के मकसूद अहमद अध्यक्ष हैं। सबसे ज्यादा 34 जिला अध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं। अब कांग्रेस जिला अध्यक्षों के चयन में आदिवासी, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को प्राथमिकता देगी।
6 जिलों में कांग्रेस के अध्यक्ष ही नहीं कांग्रेस के 72 संगठनात्मक जिलों में से 6 जिलों में अध्यक्षों के पद खाली पड़े हैं। इनमें कटनी, रायसेन, रतलाम ग्रामीण, बैतूल शहर, खंडवा शहर, खंडवा ग्रामीण शामिल हैं। बैतूल में पिछले साल ही शहर और ग्रामीण को अलग किया गया था। रायसेन में तो डेढ़ साल से जिला अध्यक्ष का पद रिक्त है।