पिथौरागढ़ । उत्तराखंड को नेपाल को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय पुल को 23 नवंबर से खोल दिया गया हैं। यह पुल 22 मार्च से बंद था। धारचूला, जौलजीबी, झूलाघाट और बनबसा के इंटरनेशनल बॉर्डर से हर रोज हजारों की संख्या में नेपाली नागरिक पेंशन लेने भारत आ रहे हैं। कई नेपाली नागरिकों को अपनी पेंशन लेने के लिए 2 से 3 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में पेंशन के इंतजार में बैठे नेपाली नागरिकों को भारत में रुकना भी पड़ रहा है। नेपाल से आ रहे इन्हीं पेंशनर्स के कारण भारत के सीमावर्ती इलाकों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है। असल में जिन इलाकों से नेपाली नागरिक भारत में आ रहे हैं, वहां इन दिनों कोरोना संक्रमण तेजी से फैला हुआ है। यही नहीं, पहाड़ों में पड़ रही कड़ाके की ठंड के कारण भारतीय इलाकों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। अकेले पिथौरागढ़ जिले में अब तक कोरोना ने 27 लोगों की जान ले ली है, जिनमें से 21 लोगों की मौत बीते एक पखवाड़े में हुई है। ऐसे में जब पिथौरागढ़ और चम्पावत जिले के बॉर्डर नेपाली पेंशनर्स के लिए खोले गए हैं, तो कोरोना के खतरे को लेकर लोगों में दहशत है।
पिथौरागढ़ और चंपावत जिले में अब तक कोरोना संक्रमण के 3400 ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं। दोनों मुल्कों के बीच 8 महीने बाद निर्धारित समय के लिए आवाजाही होने से बॉर्डर इलाकों में कुछ चहल-पहल जरूर बढ़ी है, लेकिन इससे कोरोना का खतरा भी बढ़ गया है। झूलाघाट के रहने वाले शंकर खड़ायत कहते हैं कि नेपाली नागरिकों की सुविधा के लिए बॉर्डर को खोला गया है, जिससे उनके इलाके में कुछ रौनक तो लौटी है लेकिन ये सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही है। खड़ायत कहते हैं कि नेपाल से आने वाले किसी भी व्यक्ति का टेस्ट बॉर्डर पर नहीं हो रहा है, जिससे भारतीय नागरिक भी डरे हुए हैं। इधर, सीएमओ डॉ। हरीश पंत का कहना है कि उन्होंने बॉर्डर के इलाकों में नेपाली नागरिकों के लौटने के बाद सभी की सैम्पलिंग कराने के निर्देश स्वास्थ्य कर्मियों को दिए हैं। लेकिन नेपाल से आ रहे नागरिकों का सिर्फ टैम्प्रेचर ही लिया जा रहा है। 3 दिन पहले बनबसा में 18 नेपाली नागरिक कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इसके बाद ये आशंका भी बढ़ने लगी थी कि नेपाली नागरिकों का भारत में आने से कहीं बॉर्डर इलाकों में रहने वाले भारतीयों के लिए खतरा न हो जाए।