जम्मू । जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी से एक बड़े आतंकी हमले को टाल दिया गया। 19 नवंबर के नगरोटा मुठभेड़ चार आतंकवादियों को मार गिराया गया था। इस मामले की विस्तृत जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि इसमें 2016 के पठानकोट हवाई हमले के मुख्य आरोपी जैश-ए-मोहम्मद जेएम के ऑपरेशनल कमांडर कासिम जान भी शामिल था। कासमि भारत में जैश आतंकवादियों के मुख्य लॉन्च कमांडरों में से एक है और पूरे दक्षिण कश्मीर में अपने अंडरग्राउंड लड़ाकों के साथ उसके संबंध हैं। वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी मुफ्ती रऊफ असगर को सीधे रिपोर्ट करता है। भारतीय आतंकवाद रोधी अधिकारियों के अनुसार, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी और तालिबान के पुनरुत्थान के साथ जैश जम्मू-कश्मीर सीमा पर हाइपरएक्टिव हो गया है। 14 के करीब विशेष रूप से प्रशिक्षित आतंकवादी गुजरांवाला से भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। एक अन्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, करीब 200 आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने के लिए नियंत्रण रेखा एलओसी के लॉन्च पैड पर इंतजार कर रहे हैं। हम अल-बद्र समूह के पुनरुत्थान के साथ-साथ एक और आतंकी मोर्चा लश्कर-ए-मुस्तफा को एक्टिव होता देख रहे हैं, जिसका प्रमुख हिदायतुल्ला मलिक है। दूसरा पाकिस्तानी आधारित लश्कर-ए-तैयबा लश्कर समूह है, जो खैबर-पख्तूनख्वा के जांगल-मांगल कैंप में 23 आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रहा है। अन्य श्रोत से मिली जानकारियों से पता चलता है कि चार जैश हमलावरों को कमांडो युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया गया था। वे शकरगाह में साम्बा सीमा पर जैश की शिविर से लगभग 30 किमी तक पैदल चले। इसके बाद वे जटवाल स्थित पिकअप प्वाइंट तक पहुंचे। यह इलाका सांबा से कठुआ तक छह किलोमीटर का है। इसका मतलब यह है कि हमलावर अंधेरी रात में पिक-अप प्वाइंट तक पहुंचे और फिर जम्मू-कश्मीर की ओर चले गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अनुमान है कि आतंकवादी विभिन्न मार्गों से ढाई से तीन घंटे पैदल चलकर यह दूरी तय की। उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय सीमा से पिक-अप प्वाइंट लगभग 8.7 किमी की हवाई दूरी पर है और जैश का शकरगढ़ शिविर जाटवाल से 30 किमी दूर है। संभावित घुसपैठ मार्ग सांबा सेक्टर में मावा गांव के माध्यम से था, जो रामगढ़ और हीरानगर सेक्टर के बीच है। नानाथ नाले के पास कई कच्चे ट्रैक हैं, जो पिक-अप प्लाइंट से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक पहुंचते हैं।