चीन की आर्थिक मंदी पूरी दुनिया के लिए है खतरनाक, जानिए क्यों ड्रैगन की हालत से घबराए हैं कई देश
Updated on
23-08-2023 01:31 PM
बीजिंग: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन इस समय बड़े संकट में है। एशिया की आर्थिक महाशक्ति की अर्थव्यवस्था से आने वाले आंकड़े डराने वाले हैं। अब पूरी दुनिया चीन की कमजोर होती अर्थव्यवस्था और बड़े आर्थिक संकट की आहट से ही घबरा रही है। आखिर ऐसी क्या बात है जो चीन की अर्थव्यवस्था का ऐसे कमजोर होना या इसकी धीमी गति से पूरी दुनिया को डरा रही है? इसकी वजह है कि चीन को ग्लोबल फैक्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर जाना जाता है। इस देश में कई बड़ी कंपनियों की फैक्ट्रियां हैं और यहां से तैयार सामान को भारी मात्रा में दुनिया में सप्लाई किया जाता है।
कई चीजों का टॉप सप्लायर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अपने नए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में भविष्यवाणी की है कि चीन दुनिया की जीडीपी में 22 फीसदी से ज्यादा का योगदान देने वाला है। यह बात भी सच है कि चीन कई देशों के लिए द्विपक्षीय ट्रेड पार्टनर है, यह कई चीजों का टॉप सप्लायर है और इस वजह से ही इसे दुनिया की मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर जाना जाता है। दुनिया की कई बड़ी कंपनियों की सप्लाई चेन चीन में ही है चाहे वह टेस्ला हो या फिर एप्पल। सीधे शब्दों में कहें तो चीन दुनिया की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग अर्थव्यवस्था और कई चीजों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
दुनिया उबर रही मंदी से! इसके अलावा यह देश धातुओं सहित कई प्रमुख चीजा का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। दुनिया की धातु खपत का लगभग आधा हिस्सा चीन का है। ऐसे में साफ है कि चीन की आर्थिक गतिविधि में गिरावट वैश्विक मांग और आपूर्ति के संतुलन को गंभीर रूप से बिगाड़ सकती है। ऐसे समय में जब दुनिया कोविड-19 और यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं की वजह से आई आर्थिक मंदी से उबरना शुरू कर रही है तो उस समय चीन की अर्थव्यवस्था का यह हाल निश्चित तौर पर अच्छी खबर नहीं है।
कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है। यह तब है चीन ने प्राइवेट इकोनॉमी को बढ़ावा देने और बिजनेस को सुरक्षित बनाने की कसम खा चुका है। लेकिन इसके बाद भी उसकी हर कोशिश फेल होती नजर आ रही है। पहले और अब में क्या अंतर
जुलाई के लिए देश की आर्थिक गतिविधि के आंकड़े चिंताजनक हैं। इन आंकड़ों में खुदरा बिक्री, इंडस्ट्री प्रोडक्शन और इनवेस्टमेंट जैसे प्रमुख संकेतक उम्मीदों से अलग नतीजे पेश कर रहे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब चीन की अर्थव्यवस्था संकट में आई है। साल 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान और साल 2015 में भी चीन को इसी तरह के झटके का सामना करना पड़ा। लेकिन दोनों अवसरों पर, सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में निवेश और संपत्ति बाजार को बढ़ावा देने से चीनी अर्थव्यवस्था मजबूत होकर उभरी। आज ये दोनों ही सेक्टर्स खराब स्थिति में हैं।
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