लेजर वेपन बना रहे चीन को मिली बड़ी सफलता, अब हथियार पर गर्मी का नहीं होगा साइड इफेक्ट
Updated on
12-08-2023 01:15 PM
बीजिंग: चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने लेजर हथियार प्रौद्योगिकी में एक बड़ी सफलता की घोषणा की है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक नया कूलिंग सिस्टम विकसित किया है, जो हाई एनर्जी लेजर को खुद की गर्म किरणों से बचाएगा। इससे लेजर हथियार में इस्तेमाल की जाने वाली हाई एनर्जी बीम को और ज्यादा बढ़ाया जा सकेगा। इसके अलावा लेजर वेपन खुद की गर्मी से जल्दी खराब भी नहीं होगा। इससे पहले हाई एनर्जी बीम से पैदा हुई गर्मी खुद को ही नुकसान पहुंचा रही थी। हुनान प्रांत के चांग्शा में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार नया कूलिंग सिस्टम हाई एनर्जी वाले लेजर के ऑपरेशन के दौरान उत्पन्न होने वाली हानिकारक गर्मी को पूरी तरह से समाप्त कर देगा। यह मुद्दा लेजर हथियार विकास के लिए एक बड़ी तकनीकी चुनौती रहा है।
नई तकनीक से चीनी लेजर को क्या फायदा
नई तकनीक के साथ, हथियार अब जब तक चाहें, बिना किसी रुकावट या प्रदर्शन में गिरावट के लेजर बीम उत्पन्न कर सकते हैं। युआन और उनके सहयोगियों ने कहा कि 1960 में रूबी लेजर के आविष्कार के बाद से, लोग प्रकाश की गति पर ऊर्जा के तेजी से ट्रांसफर के लिए गतिज ऊर्जा से लेजर ऊर्जा में बदलाव को लेकर उत्साहित रहे हैं। लोग लेजर बीम को मौत की किरणें बनने का सपना देख रहे हैं, जो अपने लक्ष्य को तुरंत मार सकती हैं। दुर्भाग्य से, 60 साल बीत चुके हैं और जबकि विभिन्न प्रकार के लेजर विकसित किए गए हैं लेकिन हाई एनर्जी लेजर सिस्टम का अनुप्रयोग सफल नहीं हुआ है।
अमेरिका की बराबरी करना चाहता है चीन
अमेरिका में वर्षों से सबसे प्रसिद्ध परियोजनाओं में से कुछ में नेवी एडवांस्ड केमिकल लेजर (NACL) शामिल है जो लेजर स्रोत के रूप में ड्यूटेरियम फ्लोराइड का उपयोग करता है। वहीं, मिडिल इन्फ्रारेड एडवांस्ड केमिकल लेजर (MIRACL) जो उन्नत मिड-इन्फ्रारेड रासायनिक लेजर का उपयोग करता है। इसके अलावा टैक्टिकल हाई एनर्जी लेजर (THEL) और स्पेस-बेस्ड लेजर (SBL) जो लेजर स्रोत के रूप में हाइड्रोजन फ्लोराइड का उपयोग करते थे। इसके अलावा एयरबोर्न लेजर (ABL) जो रासायनिक ऑक्सीजन आयोडीन लेजर का उपयोग करता था।
परीक्षण के दौरान खरा उतरा चीनी लेजर
युआन की टीम के अनुसार, इन सभी को परीक्षण क्षेत्रों में प्रदर्शित किया गया है। इस दौरान MIRACL ने सुपरसोनिक मिसाइलों को मार गिराया है। वहीं, THEL ने 48 उड़ने वाले लक्ष्यों को मार गिराया है और ABL ने तरल ईंधन मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोक दिया है। लेकिन, सभी परियोजनाएं रद्द कर दी गईं, जिसका कारण लेजर का बड़ा आकार और वजन बताया गया। हालांकि, वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इन परियोजनाओं को रद्द करने का असली कारण यह था कि उनकी विनाशकारी शक्ति उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। इन हथियारों की अधिकतम प्रभावी सीमा केवल कुछ किलोमीटर थी। युआन की टीम ने कहा कि बीम की विनाशकारी शक्ति में सुधार करने के लिए लंबे समय तक निरंतर संचालन समय की आवश्यकता होती है।
रूस-यूक्रेन जंग के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहली बार भारत की यात्रा करेंगे। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील में जी20 समिट की बैठक के बाद बुधवार सुबह कैरेबियाई देश गुयाना पहुंच गए हैं। राजधानी जॉर्जटाउन में गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान और प्रधानमंत्री एंटनी…
भारत और कनाडा में बढ़ते तनावों के बीच ट्रूडो सरकार ने भारत आने वाले यात्रियों की सुरक्षा जांच को बढ़ा दिया है। इस वजह से यात्रियों को एयरपोर्ट पर कड़ी…
हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की नई प्रधानमंत्री बनाई गई हैं। इस पद पर पहुंचने वाली वह श्रीलंका की तीसरी महिला नेता हैं। वे 2 महीने पहले श्रीलंका में बनी अंतरिम सरकार…