चीन-भूटान बैठक से भारत की कैसे बढ़ेगी टेंशन
भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग और थिम्पू के बीच कोई भी सौदा जो पश्चिम में डोकलाम के साथ उत्तर के क्षेत्रों (जाम्परलुंग और पासमलुंग घाटियों) के बीच आपस में अदला-बदली से जुड़ा होगा, वो भारत के लिए चिंता का विषय होगा। भारत का सिलीगुड़ी कॉरिडोर इसी से सटा हुआ है जो पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी भारत से जोड़ता है। भारत और चीन के बीच 2017 में भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन के पास डोकलाम में लंबा गतिरोध चला था।
डोकलाम को हड़पना चाहता है चीन
इस साल मार्च में भूटान के प्रधानमंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा था कि क्षेत्रों का सीमांकन और एक रेखा खींचने की प्रक्रिया एक या दो और कई बैठकों के बाद पूरी की जा सकती है। भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता 1984 में शुरू हुई थी, लेकिन इसका 24वां दौर 2016 में आयोजित किया गया था। वार्ता मुख्य रूप से भूटान के उत्तर और इसके पश्चिम में डोकलाम पठार से सटे विवादित क्षेत्रों पर केंद्रित रही है। हालाँकि, ये 2016 से रुका हुआ है, खासकर 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद।