सरकारी वकील ने दिया कानून का हवाला
हालांकि राज्य काउंसल श्रीसन्या बंदोपाध्याय ने हाई कोर्ट को बताया कि यह जरूरी नहीं है कि नामांकन के समय प्रत्याशी रिटर्निंग ऑफिसर के सामने मौजूद हो। उन्होंने यह दावा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव ऐक्ट 2023 के सेक्शन 46 के तहत किया। उन्होंने कहा कि कानून कहता है कि उम्मीदवार के प्रस्तावक उनकी जगह पर नामांकन दाखिल कर सकते हैं। कोई भी प्रत्याशी के नॉमिनेशन को चुनौती नहीं दे सकता है। उन्होने यह भी कहा कि बीडीओ को इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली।बुधवार को ही न्यायमूर्ति सिन्हा ने पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के लिए दो उम्मीदवारों के नामांकन दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए एक खंड विकास अधिकारी के खिलाफ सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति सिन्हा ने यह भी कहा था कि चूंकि आरोप राज्य सरकार के एक अधिकारी के खिलाफ हैं, इस स्थिति में राज्य की जांच एजेंसी से इस मामले की जांच कराना सही नहीं होगा। इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। उन्होंने सीबीआई को इस मामले में 7 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। दूसरी तरफ राज्य सरकार ने आदेश के खिलाफ गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ का रुख किया।