दिल्ली-NCR में प्रदूषण कैसे कम होगा, इसको लेकर केंद्र सरकार बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्ताव पेश करेगा।
दिल्ली-NCR में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को केंद्र को निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार 30 अप्रैल तक यह प्रस्ताव दे कि किस तरह से सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि अप्रैल के अंत तक यह प्रस्ताव कोर्ट के सामने रखा जाए। सरकार की तरफ से ASG ऐश्वर्या भाटी ने पैरवी की थी।
ASG ने बताया था- दिल्ली में 60 लाख से ज्यादा पुरानी गाड़ियां
9 अप्रैल की सुनवाई के दौरान ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली में 60 लाख से ज्यादा ऐसी गाड़ियां चल रही हैं, जो तय उम्र सीमा को पार कर चुकी हैं। वहीं, NCR क्षेत्र में ऐसी गाड़ियों की संख्या 25 लाख के करीब है।
कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, 'ASG ने दिल्ली और NCR में बड़ी संख्या में पुरानी गाड़ियों की मौजूदगी की बात उठाई है। हम इस पर दिशा-निर्देश तब जारी करेंगे, जब हम वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मुद्दे पर अंतिम फैसला लेंगे।'
SC का निर्देश- रिमोट सेंसिंग स्टडी 3 महीने में पूरी करें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया था कि रिमोट सेंसिंग तकनीक के इस्तेमाल पर स्टडी 3 महीने के भीतर पूरा करें। यह तकनीक सड़क पर चलती गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सरकार ने इस अध्ययन को पूरा करने के लिए 10 से 12 महीने का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि इतनी देर स्वीकार नहीं की जाएगी।
सरकार ने बताया था- फास्टैग की वजह से परेशानी हो रही
ASG भाटी ने बताया कि पहले टोल प्लाजा पर वाहनों की निगरानी की जाती थी, लेकिन अब फास्टैग की वजह से गाड़ियां बिना रुके निकल जाती हैं। इससे डेटा जुटाना मुश्किल हो गया है। पहली बार रिमोट सेंसिंग तकनीक को इस्तेमाल में लाने का प्रस्ताव 2019 में पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिया था, जो सुप्रीम कोर्ट को पर्यावरणीय मामलों में सलाह देता है।