नई दिल्ली । पेट्रोल एवं डीजल कभी विलासिता से जुड़ा हुआ था। वर्तमान में पेट्रोल एवं डीजल का उपयोग गरीब मजदूर एवं किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। मजदूर, लिपिक एवं निम्न आयवर्ग के लोग भी पेट्रोल-डीजल का उपयोग आवागमन के रुप में कर रहे हैं। किसानों को खेती के काम में डीजल का उपयोग बड़े पैमाने में हो रहा है। इसके बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकारों ने पिछले वर्षों में एक दर्जन से ज्यादा बार पेट्रोल-डीजल पर टेक्स एवं शुल्क बढ़ाया है। वहीं डीजल पर सब्सिडी खत्म कर दी है। पिछले वर्षों में डीजल एवं पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने गरीबों का जीना मुहाल कर दिया है। पेट्रोल के दाम 90 रुपया प्रति लीटर पहुंचने पर अब गरीब मजदूर एवं किसान भी नाराज है।
सरकार ने वादा किया था कि पेट्रोल डीजल को बाजार के हवाले करने से जनता को सीधा फायदा मिलेगा, मगर अभी तो पूरा फायदा सरकार अपनी तिजोरी भरने में ही कर रही है। पेट्रोल डीजल पर टेक्स एवं शुल्क का आलम यह है कि जब कच्चा तेल सस्ता हुआ तो सरकारों ने टैक्स बढ़ाकर अपना मुनाफा वसूल लिया और जब कच्चा तेल महंगा हुआ तो उसका हवाला देकर लोगों तक सस्ता तेल पहुंचने की उम्मीदों पर कुठाराघात कर दिया। देश में इस समय पेट्रोल डीजल पर 70 फीसदी तक टैक्स सरकारें वसूल रही थी, जिसमें मध्यप्रदेश और राजस्थान सबसे आगे हैं। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद पेट्रोल पर एक्साइज डयूटी 9.84 रुपए तो डीजल पर 3.56 रुपए थी, मगर सरकार लगातार आकड़ों की बाजीगरी और वैश्विक कारणों का हवाला दे एक्साइज ड्यूटी बढ़ाती गई और छह साल में पेट्रोल पर 32.98 तो डीजल पर 31.83 रुपए एक्साइज ड्यूटी हो गई है। सरकार ने पेट्रोल डीजल को कमाई का इस कदर जरिया बना लिया है कि उसे लगता है कि इस बहाने वह अपनी तिजोरी भरे रख सकती है। तभी तो 2014 में मोदी सरकार के आने के समय कच्चे तेल के दाम जहां 41.06 रुपए थे, वहीं अब दिसंबर में यही रेट 22.71 रुपए पर आ गया है। मगर पेट्रोल 90 रुपए को पार कर रहा है तो डीजल 80 रुपए के पार है। भारत इकलौता ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा 69 फीसदी टैक्स वसूला जाता है।
800 प्रतिशत तक बढ़ाई एक्साइज ड्यूटी
देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में तेजी की सबसे बड़ी वजह राज्य और केंद्र सरकारों का टैक्स ही है। केंद्र सरकार 2014 से 2020 तक 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा चुकी है। प्रति लीटर 2014 में पेट्रोल पर 9.48 रुपए से बढ़कर 32.98 व डीजल पर 3.56 रुपए से बढ़कर 31.83 रुपये हो चुका है। छह साल में पेट्रोल पर 335 फीसदी और डीजल पर 879 फीसदी बढ़ी एक्साइज ड्यूटी।
राजस्थान में सबसे ज्यादा टैक्स
देश में सबसे ज्यादा टैक्स राजस्थान सरकार वसूलती है। यहां 38 फीसदी टैक्स पेट्रोल व 28 फीसदी डीजल पर लगता है। मणिपुर दूसरे, तेलंगाना तीसरे व कर्नाटक चौथे स्थान और पांचवे स्थान पर मप्र है। भोपाल में सबसे महंगा पेट्रोल बिक रहा है, उसकी वजह टैक्स के अतिरिक्त सेस और पेट्रोल पर 4.50 रुपए और डीजल पर 3 रुपए अतिरिक्त कर भी शामिल है। वहीं डीजल के भाव में राजस्थान 83.06 के साथ शीर्ष पर दूसरे पर 81.72 के साथ मध्यप्रदेश है। पेट्रोल के भाव में मध्यप्रदेश 91.54 के साथ शीर्ष पर, दूसरे नंबर पर 91.09 के साथ राजस्थान।