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नेपाल में बढ़ा अमेरिका का दबदबा, लोकतंत्र के नाम पर दिया 20 मिलियन डॉलर, देखता रह गया चीन

Updated on 22-09-2023 01:32 PM
वॉशिंगटन: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अमेरिका की यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करना है। इससे पहले प्रचंड ने न्यूयॉर्क में यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के "डेमोक्रेसी डिलीवर्स" कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और यूएसएआईडी (USAID) की प्रशासक सामंथा पावर ने भी हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के दौरान ब्लिंकन और पावर ने नेपाल में लोकतांत्रिक प्रगति और सुधारों पर अपनी राय रखी और इस हिमालयी देश के लिए 20 मिलियन डॉलर की मदद का ऐलान किया। अमेरिका ने नेपाल को इस मदद का ऐलान तब किया है, जब प्रचंड को चीन का दौरा करना है।

नेपाल में कई अमेरिकी फाउंडेशन करेंगे काम


अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और यूएसएआईडी प्रशासक सामंथा पावर ने फोर्ड फाउंडेशन और रॉकफेलर फाउंडेशन के साथ साझेदारी में नेपाल में परोपकारी कार्यों के लिए लोगों की मदद का ऐलान किया। अमेरिकी विदेश कार्यालय ने बताया कि नेपाली पीएम दहल यूएसएआईडी के डेमोक्रेसी डिलीवर्स इनिशिएटिव द्वारा समर्थित देशों के पहले समूह के नेतृत्व के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान, यूएसएआईडी ने घोषणा की कि नेपाल को अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण, नौकरी और वेतन वृद्धि को बढ़ावा देने, निवेश जुटाने और लोकतांत्रिक लाभांश देने के लिए 2 मिलियन डॉलर मिलेंगे।

नेपाल की लगातार मदद कर रहा अमेरिका


यूएसएआईडी के पार्टनरशिप फॉर डेमोक्रेसी डेवलपमेंट के के माध्यम से नेपाल को हाल ही में लोकतांत्रिक सुधारकों के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने और मौलिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका से 6.9 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए। यूएसएआईडी/नेपाल के कार्यवाहक मिशन डायरेक्टर करेन वेल्च ने कहा कि स्थानीय शासन को मजबूत करने और अपने नागरिकों को सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी में सुधार करने के लिए नेपाल के चल रहे प्रयासों के साथ जुड़ने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का निवेश किया जाएगा।

नेपाल में अमेरिकी दखल से नाराज है चीन


चीन शुरू से ही नेपाल में अमेरिका की मौजूदगी को खतरे के तौर पर देखता है। यही कारण है कि चीन ने कई बार नेपाली सरकार से अमेरिका से दूरी बनाने की चेतावनी भी दी है। नेपाल ने हाल में ही अमेरिका के एमसीसी कॉम्पैक्ट को जमीनी स्तर पर लागू करने का फैसला किया है। इस फैसले के विरोध में भी चीन ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। हालांकि, नेपाल की वर्तमान सरकार चीन को लेकर सतर्क है और हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है। प्रचंड ने चीन यात्रा से पहले ही ऐलान किया था कि उनका लक्ष्य शी जिनपिंग से बीआरआई के जरिए ज्यादा से ज्यादा अनुदान पाने का है, न कि कर्ज। वहीं, चीन किसी भी कीमत पर अनुदान को बढ़ाने के पक्ष में नहीं है।


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