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भारत-रूस रिश्ते को कमजोर करना चाहता है अमेरिका, पुतिन आ सकते हैं दिल्ली, रूसी अधिकारी का बड़ा 'बयान'

Updated on 07-07-2023 07:09 PM
मॉस्को: रूस और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से राष्ट्रपति पुतिन देश से बेहद कम मौकों पर बाहर निकलते हैं। इस बीच खबर है कि वह भारत आ सकते हैं। दरअसल दुनिया के 20 देशों वाला G-20 का शिखर सम्मेलन इस साल भारत में होने वाला है। इसे लेकर रूस के राजनयिक ने कहा है कि भारत में G20 का होना रूस के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। उनके इस बयान के बाद से माना जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ जाएं। अगर ऐसा होता है तो यह युद्ध की शुरुआत के बाद पहली बार होगा जब पश्चिम के नेताओं के साथ पुतिन एक मेज पर होंगे।

पिछले साल इंडोनेशिया में जी-20 शिखर सम्मेलन हुआ था। तब पुतिन ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था। इस साल 9-10 सितंबर को भारत में यह सम्मेलन होगा। भारत का विदेश मंत्रालय भी कह चुका है कि अगर पुतिन आते हैं तो वह स्वागत के लिए तैयार हैं। रूस के कार्यवाहक राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा, 'जहां तक जी-20 शिखर सम्मेलन का सवाल है, हम इसे इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मानते हैं। सभी तैयारियां चल रही हैं। आम तौर पर राष्ट्रपति की योजनाओं की घोषणा उचित समय पर की जाती हैं।'

भारत-रूस के बीच फिर करीबी
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती करीबी को देखते हुए रूस फिर से अपने रिश्तों को मजबूत करने में लगा है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे। इस यात्रा से वापस आने के कुछ दिनों बाद उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने पुतिन से रूस में फेल हुए विद्रोह पर भी बात की थी। अमेरिका रूस संबंधों पर बाबुश्किन ने कहा कि हर देश अपने हितों के आधार पर विदेश नीति बनाता है। अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी स्वाभाविक है। रूस इस द्विपक्षीय साझेदारी पर टिप्पणी नहीं करेगा।

संबंधों को कमजोर करने में लगा अमेरिका
उन्होंने आगे कहा, 'दुर्भाग्य से अमेरिका रूस को भारत से बाहर निकालने, हमारे संबंधों को कमजोर करने और अपने जियोपॉलिटिकल खेल में भारत को शामिल करने के उद्देश्य में व्यस्त है।' द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक बाबुश्किन ने कहा कि भारत इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन का अध्यक्ष है और उसकी अध्यक्षता को सफल बनाने के लिए रूस प्रतिबद्ध है। हालांकि उन्होंने इस बात पर उम्मीद नहीं जताई कि रूस और चीन ड्राफ्ट स्टेटमेंट पर सहमत होंगे। अगर दोनों देश इस पर सहमत नहीं हुए तो संयुक्त विज्ञप्ति जारी करने में फेलियर हो सकता है, जो जी-20 के इतिहास में पहली बार होगा।

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