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अमेरिका ने चीन में निवेश पर लागू की नई पाबंदियां, एआई और सेमीकंडक्टर पर प्रतिबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा का दिया हवाला

Updated on 29-10-2024 01:01 PM


नई दिल्ली. अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेमीकंडक्टर और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में अमेरिकी निवेश पर नए नियम लागू किए हैं. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने सोमवार को इसकी घोषणा की.


ट्रेजरी विभाग के अनुसार, इन नए नियमों के तहत अमेरिकी नागरिकों, स्थायी निवासियों और अमेरिका-स्थित कंपनियों को एआई, सेमीकंडक्टर और क्वांटम कंप्यूटिंग सहित कुछ तकनीकों में निवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि चीन द्वारा सेना, खुफिया और साइबर क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल न किया जा सके.


कम उन्नत तकनीकों पर भी होगी निगरानी


इस नए कानून के तहत, अमेरिकी निवेशकों को कुछ कम उन्नत तकनीकों में निवेश के बारे में ट्रेजरी विभाग को सूचित करना होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं. ट्रेजरी के सहायक सचिव पॉल रोसेन ने कहा कि यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि “अमेरिकी निवेश का उपयोग किसी ऐसे देश द्वारा न किया जाए जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का उद्देश्य रखता हो.”


अमेरिकी निवेश और प्रबंधन सहयोग पर रोक


पॉल रोसेन ने कहा कि अमेरिकी निवेश का उपयोग चीन जैसे देशों की सैन्य, खुफिया और साइबर क्षमताओं को बढ़ाने में नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे निवेश से मिलने वाली प्रबंधकीय सहायता और निवेश और प्रतिभा नेटवर्क तक पहुंच का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा.


राष्ट्रपति बाइडेन के आदेश के बाद आई नई पाबंदियां


यह प्रतिबंध राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा पिछले साल जारी किए गए उस कार्यकारी आदेश के बाद आए हैं, जिसमें उन्होंने सेमीकंडक्टर, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग और कुछ एआई क्षमताओं में निवेश पर प्रतिबंध की बात कही थी. बाइडेन ने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी निवेश से विरोधी देशों की संवेदनशील तकनीकी विकास में सहायता हो सकती है, जो सैन्य, खुफिया, निगरानी या साइबर सुरक्षा में उनकी क्षमताओं को बढ़ावा दे सकते हैं.


चीन ने दी कड़ी प्रतिक्रिया


अमेरिका के इस कदम पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बाइडेन के कार्यकारी आदेश को “एंटी-ग्लोबलाइजेशन और डीसिनिसाइजेशन का प्रयास” कहा. चीन ने अमेरिका के इस कदम पर “कड़ा विरोध” दर्ज कराया है और औपचारिक आपत्ति भी जताई.

चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “बीजिंग को अमेरिका द्वारा चीन में निवेश पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों पर गहरा असंतोष और कड़ा विरोध है, और हमने अमेरिका के साथ गंभीर प्रतिवेदन दायर किया है.”



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