एमबीए करने के बाद घर पर ही शुरू की मशरूम की खेती, अब सालाना कमाते हैं 90 लाख रुपये
Updated on
04-10-2024 12:54 PM
नई दिल्ली: पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद काफी लोग बिजनस या जॉब के लिए अपने घर से दूर चले जाते हैं। वहीं कुछ ऐसे होते हैं जो अपने घर रहकर ही मौका खोजते हैं और फिर उन्हीं में अपना शानदार करियर बना लेते हैं। ऐसा ही कुछ किया अरुण शर्मा ने। कश्मीर के रहने वाले अरुण एमबीए पासआउट हैं। आज वह अपने गृहनगर में मशरूम की खेती करते हैं। वह मशरूम की खेती से सालाना 90 लाख रुपये कमा रहे हैं।
अरुण जम्मू और कश्मीर के कठुआ के रहने वाले हैं। एमबीए पूरा करने के बाद उन्होंने अपने घर से दूर जाना उचित नहीं समझा। वह अपने परिवार के साथ ही रहे और एक एनजीओ से जुड़ गए। यह एनजीओ महिलाओं के लिए काम करता था। उसी समय महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए सरकार कठुआ में बटन मशरूम की खेती पर एक ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही थी। यहीं से उनके दिमाग में मशरूम की खेती करने का विचार आया।
एक कमरे से की शुरुआत
अरुण ने मशरूम की खेती की शुरुआत अपने घर के एक छोटे से कमरे से की। आज वह सालाना 35 टन मशरूम का प्रोडक्शन करते हैं। साथ ही वह किसानों को 45 लाख रुपये का मशरूम खाद भी बेचते हैं। इस दोनों से उन्हें सालाना कुल 90 लाख रुपये का कारोबार होता है।
16 हजार रुपये पहली कमाई
अरुण बताते हैं कि उन्होंने मशरूम के बीज (स्पॉन) खरीदने, अंधेरे कमरे में उनकी खेती और कहां इन्हें बेचा जा सकता है, इसके बारे में सीखा। उन्होंने टेस्ट के तौर पर स्थानीय आपूर्तिकर्ता से 100 तैयार मशरूम बैग खरीदे। 90 रुपये प्रति बैग के हिसाब से इनकी कीमत 9000 रुपये थी। करीब दो महीने के बाद मशरूम की अच्छी पैदावार हुई। इन मशरूम को बेचकर उन्हें 1600 रुपये की कमाई हुई।
बड़ा हो गया बिजनस
इस सफलता से अरुण काफी खुश हुए। उन्होंने इसके बाद कमरे में मशरूम बैग की संख्या बढ़ा दी। साथ ही एनजीओ में काम करना भी जारी रखा। अरुण बताते हैं कि तीन साल बाद यानी 2014 में उन्हें लगा कि मार्केट में मशरूम की मांग बढ़ रही है और इसे बढ़ाना लाभदायक होगा। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने अपने घर के पास एक पुरानी बिल्डिंग में मशरूम की खेती शुरू कर दी।
अगले साल यानी 2015 में अरुण से बैंक से 7 लाख रुपये का लोन लिया। साथ ही 3 लाख रुपये अपनी बचत के लगाकर मशरूम की खेती के लिए सेटआप तैयार करवाया। यह एक ऐसी यूनिट थी जहां से किसी भी सीजन में मशरूम की खेती की जा सकती है। उन्होंने अपने घर के बराबर में 1000 वर्ग फुट में यूनिट स्थापित की और 1.5 टन के दो एसी लगाए। बिक्री बढ़ने पर उन्होंने 2017 में अपने बिजनस को और फैलाया।
मशरूम खाद बेचना भी किया शुरू
2019 तक अरुण को एहसास हो गया था कि बड़े पैमाने पर मशरूम खाद बनाना फायदे का सौदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 5,000 वर्ग फुट से अधिक की जगह तैयार की। यहां से खाद का प्रोडक्शन प्रति वर्ष 50,000 बैग है। उन्होंने कहा इसे 90 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचते हैं। इससे सालाना 45 लाख रुपये की इनकम होती है।
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