अफ्रीकी कैथोलिक पादरियों ने पोप फ्रांसिस की उस सलाह को मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि समलैंगिक जोड़ों को चर्च की तरफ से आशीर्वाद मिलना चाहिए।
अफ्रीकी पादरियों के अलावा मेडागास्कर के प्रीस्ट्स ने भी समलैंगिकों जोड़ों को ब्लेसिंग्स यानी आशीष देने से इनकार कर दिया। इनका कहना है कि इस तरह का मिलन (यूनियन) हकीकत में ईश्वर की इच्छा के खिलाफ है।
दिसंबर 2023 में पोप फ्रांसिस ने सभी कैथोलिक चर्च के पादरियों से कहा था कि वो समलैंगिक जोड़ों को भी आशीर्वाद दें। यह मंजूरी इसलिए अहम है, क्योंकि महज दो साल पहले वेटिकन सिटी में पोप के ऑफिस से जारी बयान में समलैंगिकों की शादी को पाप बताया गया था।
अब नया विवाद
अफ्रीकी-मेडागास्कर के पादरियों की यूनिट ने कहा- हम पोप फ्रांसिस के उस ऐलान को नहीं मान सकते, जिसमें उन्होंने समलैंगिकों को आशीर्वाद देने को कहा है। हम मानते हैं कि यह ऐलान या सलाह ईश्वर की इच्छा के हिसाब से सही नहीं है। कार्डिनल फ्रिडोलिन एम्बोन्गो ने इस बारे में एक लिखित बयान जारी किया है। तादाद के लिहाज से देखें तो अफ्रीकी पादरी काफी ज्यादा हैं। पोप फ्रांसिस ने समलैंगिकों को आशीर्वाद देने का ऐलान 18 दिसंबर 2023 को किया था।
वेटिकन की पॉलिसी में यह चेंज दिसंबर में आया था। तब पोप एक दो कार्डिनल्स को लेटर लिखा था। इसमें कहा गया था- जो लोग ईश्वर की दया या आशीर्वाद चाहते हैं, उनके बारे में थकाऊ नैतिकता नहीं दिखाना चाहिए। सेम सेक्स मैरिज कपल्स को आशीर्वाद देने के लिए कुछ हालात (लगभग शर्तें) भी तय की गईं थीं।
‘फॉक्स न्यूज’ के मुताबिक- पोप फ्रांसिस प्रोग्रेसिव लीडरशिप यानी विकासवादी नेतृत्व में यकीन करते हैं। दूसरी तरफ, चर्च का ज्यादातर हिस्सा (अफ्रीका समेत) पुरानी सोच और परंपराओं को मानता है और मानने पर जोर देता है।
सेम सेक्स कपल्स को पत्थर से मारो
कार्डिनल फ्रिडोलिन एम्बोन्गो ने बयान में कहा- सेम सेक्स कपल्स को आशर्वाद देना इसलिए सही नहीं होगा, क्योंकि इससे कन्फ्यूजन के साथ ही कुछ विवाद या स्कैंडल भी खड़े हो सकते हैं। यह हमारे कल्चर और धार्मिक परंपराओं के लिहाज से भी सही नहीं है। पोप के इस ऐलान से अफ्रीकी ईसाइयों को झटका लगा है।
कुछ दिन पहले पूर्वी अफ्रीकी देश बुरुंडी एवारिस्टे डेशिमिए ने कहा था- हमारे देश में सेम सेक्स कपल्स को स्टेडियम में ले जाना चाहिए और वहां पत्थरों से मारा जाना चाहिए। 29 दिसंबर को एक रेडियो मैसेज में उन्होंने कहा- हमारे देश के ऐसे लोग जो दूसरे देशों में रहते हैं और होमोसेक्शुअल हैं, उन्हें देश नहीं लौटना चाहिए।
चर्च के रुख में बदलाव क्यों आया
18 दिसंबर 2023 को पोप ने एक ऐलान किया था। पोप फ्रांसिस ने आखिरकार रोमन कैथोलिक प्रीस्ट्स (धर्मगुरु या पादरी) को यह इजाजत दे दी थी कि वो सेम-सेक्स कपल्स या समलैंगिकों को आशीर्वाद दे सकते हैं। यह मंजूरी इसलिए अहम है, क्योंकि महज दो साल पहले वेटिकन सिटी में पोप के ऑफिस से जारी बयान में समलैंगिकों की शादी को पाप बताया गया था।
बहरहाल, अब वेटिकन सिटी की तरफ से कहा गया है कि ईश्वर का आशीष और उसका प्रेम पाने का अधिकार सभी को है।
अमेरिकी न्यूज चैनल CNN की रिपोर्ट के मुताबिक LGBTQ+ कम्युनिटी के लिए पोप फ्रांसिस का आदेश चर्च के रवैये और नजरिए में बड़े बदलाव की तरफ साफ इशारा है। हालांकि ये चर्च की सामान्य रस्म का हिस्सा नहीं होगा।
पिछले साल अक्टूबर में वेटिकन से खबर आई थी कि पोप समलैंगिकों को आशीर्वाद दिए जाने की मंजूरी देने का मन बना चुके हैं और इस बारे में दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। ये इसलिए अहम हो जाता है कि 2021 में वेटिकन डॉक्ट्रिन (सामान्य तौर पर नियम) में कहा गया था- ईश्वर पाप को आशीष नहीं देते। इसके बाद जुलाई 2023 में वेटिकन के डॉक्ट्रिन डिपार्टमेंट ने इस बारे में विचार शुरू किया। डिपार्टमेंट की अगुआई कार्डिनल विक्टर मैनुअल फर्नांडीज कर रहे थे। विक्टर पोप के करीबी हैं। पोप कई मामलों में परंपरा से अलग हटकर सोच रखते हैं।
यूरोप में समर्थन और अफ्रीका में विरोध
वेटिकन की ताजा डॉक्ट्रिन को तैयार करने वाले कार्डिनल विक्टर कहते हैं- ईश्वर का आशीर्वाद सभी के लिए है, ये सिर्फ उनके लिए नहीं होता जो खुद को सही बताते हैं। अब उन लोगों को भी चर्च की तरफ से आशीष मिल सकेगा जो असामान्य हालात में हैं या समलैंगिक हैं।
प्रीस्ट जेम्स मार्टिन इस बारे में आवाज उठाते रहे हैं और पोप फ्रांसिस ने उनका समर्थन भी किया था। मार्टिन नए नियम या डॉक्ट्रिन को सेम-सेक्स कपल्स के लिए बेहतर बताते हुए कहते हैं- यह सही दिशा में उठाया गया गंभीर कदम है। 2021 के बाद वेटिकन के रुख में बदलाव आया है। मार्टिन ने CNN से कहा- मैं बहुत खुश हूं। अब मैं अपने उन दोस्तों को आशीर्वाद दे सकूंगा जिन्होंने समलैंगिक विवाह या सेम-सेक्स मैरिज की है।
पहले विरोध अब समर्थन
रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में पोप से एक रिपोर्टर ने वेटिकन में समलैंगिकता से जुड़ा सवाल किया था। इसके जवाब में पोप ने कहा था- मैं इस बारे में फैसला करने वाला कौन होता हूं? इसके बाद कुछ मौकों पर पोप ने सेम-सेक्स कपल्स को भी दूसरे लोगों की तरह समझने की तरफ इशारा किया।
बहरहाल, ये भी सच है कि 2003 में वेटिकन ने इसका विरोध किया था। तब चर्च की तरफ से कहा गया था- ये जरूरी है कि समलैंगिकों के संगठनों को कानूनी मान्यता मिलने या दिए जाने का विरोध किया जाए। पोप ने एक अमेरिकी नन जेनि ग्रेमिक से हाल ही में मुलाकात की थी। जेनी कई साल से समलैंगिकों का समर्थन करती रही हैं और एक वक्त उन्हें चर्च की तरफ से बैन भी किया गया था। जेनी से मुलाकात के बाद पोप ने उन्हें ‘बेखौफ महिला’ बताया था।
नए नियम में कहा गया है कि सेम-सेक्स या अनमैरिड कपल्स को आशीर्वाद तो दिया जा सकता है, लेकिन ये उनके हालात या स्टेटस को मान्यता देना नहीं माना जाएगा। पोप मानते हैं कि चर्च को सिर्फ खारिज करने वाला नहीं बनना चाहिए, उसे आशीर्वाद के बारे में बड़ी सोच रखनी चाहिए।