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नाइजर के खिलाफ मिलिट्री एक्‍शन को लेकर डरे अफ्रीकी देश! डेडलाइन के बाद भी अभी तक शांति

Updated on 07-08-2023 02:15 PM

नियामे: इस समय पूरी दुनिया की निगाहें पश्चिम अफ्रीकी नेताओं पर टिकी हैं। इन नेताओं ने नाइजर में तख्तापलट के खिलाफ हमला करने की कसम खाई है। इन्‍होंने कहा था कि नाइजर में नया शासन हिरासत में लिए गए राष्‍ट्रपति को आजाद नहीं करता है और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार में वापस लौटने में असफल रहता है तो फिर मिलिट्री एक्‍शन लिया जाएगा। इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स (इकोवास) की तरफ से रविवार की समयसीमा के साथ धमकी दी गई थी। लेकिन देर शाम तक नाइजर में शांति थी और किसी तरह के सैन्‍य हस्‍तक्षेप का कोई संकेत नहीं था।


डरे हुए हैं देश
इस पूरी स्थिति पर विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई है। कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इकोवास को पश्चिमी सहयोगियों - विशेष रूप से अमेरिका और फ्रांस की तरफ से उकसाया गया है। ज‍बकि इकोवास का अगला कदम क्‍या होगा, यह नाइजीरिया के राष्‍ट्रपति बोला टीनुबू के नजरिए से स्‍पष्‍ट है। टीनूबु इस संगठन के अध्‍यक्ष हैं और वह मानते हैं कि कुछ देशों के नेता इस कदम से डरे हुए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक संगठन के कुछ नेता इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं उनके देश की सेनाओं को इस कदम से कोई आइडिया न मिल जाए।
 
गठबंधन में दरार
अबूजा स्थित राजनीतिक विश्लेषक अफोलाबी अडेकाइयोजा ने कहा, 'तख्तापलट शायद ही कभी अकेले किए जाते हैं, खासकर जब पड़ोसी देशों में समान अनुभव, संरचनाएं और संस्थाएं हों।' उनका कहना था कि क्षेत्र में सेनाएं खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करती हैं। इसलिए लोकतांत्रिक प्रशासन अपने सैनिकों के इसी तरह के एक्‍शन में शामिल होने की संभावना को लेकर चिंतित है।' नाइजर के तख्तापलट पर इकोवास की जुझारू प्रतिक्रिया से इसके 15 सदस्य देशों के गठबंधन में असामान्य दरार का भी पता चलता है।

बढ़ सकता है टकराव
जैसे-जैसे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ रहा है अफ्रीका के देश एक पक्ष का चुनाव करना चाहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह जिद एक बड़े टकराव का रूप ले सकती है। एक तरफ समृद्ध तटीय अर्थव्यवस्थाएं और दूसरी तरफ उनके जमीन से घिरे सैन्य-नेतृत्व वाले उनके समकक्ष। पश्चिम में नाइजर के पड़ोसी जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी के नेतृत्व वाली सैन्य सरकार की रक्षा के लिए खड़े हो गए हैं। इसने अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है और शांति वार्ता से किनारा कर लिया है। माली और बुर्किना फासो की सैन्य सरकारों ने कहा है कि नाइजर में सशस्त्र हस्तक्षेप का जवाब बलपूर्वक दिया जाएगा। गिनी ने भी नाइजर का पक्ष लिया है।

खतरे में आई सुरक्षा
नाइजर सहित सभी तीन देशों को इकोवास से सस्‍पेंड कर दिया गया है। ये देश पश्चिम में गिनी से लेकर पूर्व में सूडान तक अफ्रीका के साहेल तक फैले सैन्य नेतृत्व का हिस्‍सा हैं। नाइजीरिया के नेतृत्व में, अमीर, तटीय राज्य भी एकजुट हो रहे हैं क्योंकि उनके उत्तरी पड़ोसियों की वजह से सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हाल के कुछ वर्षों में, गिनी की खाड़ी के देशों ने पहले साहेल को तबाह करने वाले सशस्त्र समूह की हिंसा को छोड़ दिया था और माली और बुर्किना फासो की सीमा से लगे स्थानों पर हमलों का अनुभव किया है।
 
 
 

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