बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के मुंशी प्रेमचंद हॉस्टल में रहने वाले छात्र इन दिनों खस्ताहाल भवन में जान जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं। जर्जर इमारत में गिरता प्लास्टर, टूटे दरवाजे और बदहाल टॉयलेट्स यहां की स्थिति बयां कर रहे हैं। करीब 15 दिन पहले हॉस्टल की छत का एक बड़ा हिस्सा एंट्रेंस पर गिर गया था। कुछ छात्र ठीक उसी समय गुजरे थे, वे बाल-बाल बच गए। इस घटना ने हॉस्टल की जर्जर हालत को और उजागर कर दिया है। हॉस्टल में रहने वाले 60 से अधिक छात्र हर रोज इसी डर के साये में रह रहे हैं कि कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए। जानकारी के अनुसार इस हॉस्टल की बिल्डिंग 44 साल पुरानी है।
छत से बरसता प्लास्टर, टूटते दरवाजे हॉस्टल के कई कमरों की छत इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि आए दिन प्लास्टर झड़ता रहता है। छात्रों का कहना है कि इस वजह से कई बार उनके लैपटॉप और मोबाइल तक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। डर का आलम यह है कि छात्र रात में भी सहमे रहते हैं, कहीं सोते समय छत का कोई बड़ा हिस्सा न गिर जाए। वहीं, कई दरवाजे या तो टूट चुके हैं या बेहद कमजोर हो गए हैं, जिन्हें छात्र रस्सियों से बांधकर जैसे-तैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
गंदगी से भरा किचन, चोक टॉयलेट्स छात्रों ने शिकायत की है कि हॉस्टल के मेस की स्थिति दयनीय है। गंदगी और अव्यवस्था के बीच खाना बनता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ने का खतरा बना हुआ है। टॉयलेट्स की हालत इतनी खराब है कि वे अक्सर जाम रहते हैं, जिससे छात्रों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के मुंशी प्रेमचंद हॉस्टल की छत का बड़ा हिस्सा मंगलवार देर रात गिर गया। यह हिस्सा एंट्रेंस पर स्थित था। घटना के समय वहां से कुछ छात्र गुजरे थे, जिनके गुजरने के तुरंत बाद यह हिस्सा गिरा। इस हादसे में छात्र बाल-बाल बच गए। छात्रों का आरोप है मंगलवार रात से यहां छत गिरी है मगर अभी तक प्रबंधन की तरफ से इसकी कोई खैर खबर नहीं ली गई है। बता दें कि मुंशी प्रेमचंद हॉस्टल की इमारत करीब 44 साल पुरानी है। छात्रों के मुताबिक यहां कभी भी सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं किया गया। हालांकि विश्वविद्यालय का कहना है कि जल्द ही इसकी मरम्मत करवाई जाएगी।