नाइजर की वजह से अफ्रीका में छिड़ सकता है बड़ा युद्ध, नाटो के टॉप कमांडर ने क्यों दी यह चेतावनी
Updated on
08-08-2023 01:43 PM
नियामे: नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) के टॉप कमांडर ने यूरोप को चेतावनी दी है कि अफ्रीका में 'पूर्ण युद्ध' छिड़ सकता है। पूर्व कमांडर जेम्स स्टावरिडिस को डर है कि नाइजर में तख्तापलट करने वाले नेताओं के लिए देश को लोकतांत्रिक शासन में वापस लाने की समय सीमा संघर्ष में तब्दील हो सकती है। पश्चिम अफ्रीकी देशों के गठबंधन इकोवास की तरफ से भी छह अगस्त को एक समय सीमा तय कर दी गई है। इस गठबंधन ने देश में मिलिट्री को सत्ता वापस करने और देश के राष्ट्रपति को रिहा करने की मांग की गई है।
नाइजर में हुआ है भारी निवेश माली और बुर्किना फासो, जहां पर मिलिट्री शासन है उन्होंने भी नाइजर में सत्ता संभालने वाली सेना का पक्ष लिया है। नाइजर की सेना ने अपने पड़ोसियों के सैन्य हस्तक्षेप के खतरे के चलते देश के हवाई क्षेत्र को ही बंद कर दिया है। माली और बुर्किना फासो ने भी चेतावनी दी है कि किसी भी तरह का सैन्य हस्तक्षेप युद्ध के बराबर होगा। नाटो के पूर्व कमांडर की मानें तो अभी यह युद्ध निश्चितता से बहुत दूर है। मगर फ्रांस, रूस और अमेरिका समेत कई देशों ने इस क्षेत्र में निवेश किया है। इस वजह से संघर्ष बढ़ने की गुंजाइश है।
नाइजर के हालात गंभीर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर जिसे अब एक्स के तौर पर जाना जाता है, उस पर स्टावरिडिस ने लिखा, 'क्या इन हालातों की वजह से अफ्रीका में पूर्ण युद्ध होगा? निश्चित रूप से नाइजर के संघर्ष में ऐसा करने की क्षमता है, और यह एक महत्वपूर्ण और विनाशकारी घटना होगी।' न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पश्चिमी अफ्रीकी देशों की सरकारों ने नाइजर में सेना के साथ बातचीत रुकने के बाद विकल्पों और संसाधनों को तैयार करने पर चर्चा की है। अल-जजीरा की तरफ से बताया गया है कि नाइजर में जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी और उनके डिप्टी जनरल सलीफौ मूडी के नेतृत्व में सेना ने रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर से मदद अपील की है। अफ्रीकी देशों में मतभेद
इकोवास की तरफ से नाइजर को रविवार तक की समयसीमा के साथ धमकी दी गई थी। लेकिन देर शाम तक यहां शांति थी और किसी तरह के सैन्य हस्तक्षेप का कोई संकेत नहीं था। कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नाइजर के खिलाफ मिलिट्री एक्शन पर पश्चिम अफ्रीका के कुछ देश बंटे हुए हैं। इस पूरी स्थिति पर विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई है। कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इकोवास को पश्चिमी सहयोगियों , अमेरिका और फ्रांस की तरफ से उकसाया गया है। जबकि नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टीनुबू जो संगठन के मुखिया हैं, वह मानते हैं कि कुछ देशों के नेता इस कदम से डरे हुए हैं।
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