जी20 देशों की बैठक दिल्ली में होने वाली है। दिल्ली में होने जा रही जी20 बैठक में भारत, चीन, अमेरिका, रूस, जर्मनी, जापान,ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका सउदी अरब, तुर्किये, मेक्सिको, साउथ कोरिया, यूरोपीय संघ और अर्जेंटीना के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। दुनिया के 20 देशों को मिलाकर बनाया गया यह एक शक्तिशाली ग्रुप है। साल 1999 से पहले कुछ सालों से एशिया आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसे देखते हुए जर्मनी में जी8 देशों की बैठक हुई और यहीं जी20 का गठन किया गया।
दुनिया के 20 ताकतवर देशों के मिलकर बनाए गए इस जी20 का ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसके सदस्य देशों के पास मिलाकर दुनिया की 80 फीसदी GDP हैं। दुनिया की 60 फीसदी आबादी इन देशों के पास है और 75 फीसदी ग्लोबल ट्रेन जी20 देशों के पास है। दुनिया के कुल उत्पादन में जी20 देशों की हिस्सेदारी 85 फीसदी की है। जाहिर है कि जब भारत की जमीन पर दुनिया की महाशक्तियों का मिलन होगा तो मेजबान देश को इसका फायदा होगा। भारत के लिए ये लम्हा ऐतिहासिक होने वाला है। जी20 की मेजबानी कर दुनिया में भारत की आवाज बुलंद होगी।
जी20 समिट से ब्रैंड इंडिया' का इमेज और मजबूत होगा। जी20 की मेजबानी का भारत को फायदा होगा। जी20 के मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वस्थ्य, शिक्षा, कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसे सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो जी20 बैठक के दौरान दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देने पर चर्चा होती है। भारत को आर्थिक मजबूती मिलेगी तो देशों में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होगें। इतना ही नहीं देश में शिक्षा, खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
G20 बैठक की मेजबानी कर रहे भारत को इस समिट से काफी फायदा मिलने वाला है। देश की इकॉनमी को बूस्ट मिलेगा, जिसका फायदा आम लोगों को भी मिलेगा। लॉग टर्म के साथ-साथ शॉर्ट टर्म में भी फायदा मिलने वाला है। जी20 के आयोजन से राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर रीजन में होटल इंडस्ट्री से लेकर रियल एस्टेट को बूस्ट मिल रहा है। G20 समिट के देश के भीतर कई तरह के निवेश आने की उम्मीद है।