चीन के संकट का सबब बन रहा बीआरआई कर्ज
चीन ने यूक्रेन युद्ध की निंदा करने से इनकार कर दिया है। चीन ने खुद को एक तटस्थ पक्ष के रूप में पेश करने की कोशिश की है, जबकि साथ ही रूस को एक महत्वपूर्ण राजनयिक और वित्तीय जीवन रेखा प्रदान की है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पिछले महीने कहा था, 'हम बीआरआई में सक्रिय रूप से भाग ले रहे देशों और भागीदारों का स्वागत करते हैं कि वे बीजिंग आएं और सहयोग योजनाओं पर चर्चा करें और सामान्य विकास की तलाश करें।"
चीन ने एशिया से लेकर अफ्रीका तक अरबों डॉलर के बीआरआई प्रॉजेक्ट शुरू किए हैं जिसमें कई तो सफेद हाथी साबित हुए हैं। चीन के कर्ज तले दबे ये देश अब अपना पैसा नहीं लौटा पा रहे हैं जिससे ड्रैगन के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं चीन के कुछ साझेदार चीनी परियोजनाओं लागत के बारे में तेजी से सावधान हो रहे हैं। जी7 के सदस्य देश इटली ने पिछले महीने कहा था कि वह इस बीआरआई प्रॉजेक्ट से बाहर होने पर विचार कर रहा है। बोस्टन विश्वविद्यालय की वैश्विक विकास नीति के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीआरआई के तहत कर्ज प्राप्त करने वालों में से कई भारी ऋण संकट से ग्रस्त हैं। कई देश चीन को अपने बाहरी ऋण का एक बहुत बड़ा हिस्सा देते हैं।' चीन की इसी चाल को देखते हुए नेपाल जैसे देश इससे दूरी बना रहे हैं।