पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की छोटी बेटी आसिफा भुट्टो अब पूरी तरह सियासी मैदान में उतरने जा रही हैं। ‘जियो लाइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक- आसिफा नेशनल असेंबली के लिए होने वाले उप-चुनाव में भाई बिलावल की शहदकोट सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
बिलावल ने शहदकोट के अलावा लरकाना से भी चुनाव लड़ा था। वो दोनों सीट जीते। उन्हें एक सीट खाली करनी है। माना जा रहा है कि वो लरकाना सीट अपने पास रखेंगे और शहदकोट से बहन आसिफा की इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में एंट्री कराएंगे। इसका ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है।
एक तीर से दो शिकार
रिपोर्ट के मुताबिक- आसिफ अली जरदारी और बिलावल ने आसिफा को चुनावी सियासत में उतारने का मन बना लिया है। हालांकि, तीन साल पहले भी वो पॉलिटिकली एक्टिव हुईं थीं, लेकिन इसके बाद लंदन लौट गईं थीं। इस बार बिलावल और आसिफ अली के करीबी सूत्र कन्फर्म कर रहे हैं कि आसिफा की चुनावी सियासत में उतरने का ऐलान बहुत जल्द किया जाएगा।
दरअसल, जरदारी और बिलावल एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं। आसिफा में कई लोग उनकी मां और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की झलक देखते हैं। उनकी स्पीच को भी काफी पसंद किया जाता है। इसके अलावा वो लंदन में रहते हुए भी पाकिस्तान पॉलिटिक्स को लेकर एक्टिव रहती हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि बिलावल इस मूड में नहीं थे कि नवाज शरीफ की पार्टी को समर्थन दिया जाए। आसिफा ने उन्हें इसके लिए तैयार किया।
अब आसिफा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को शहदकोट सीट जिताकर न सिर्फ संसद में मजबूती देना चाहती हैं, बल्कि पिता आसिफ अली जरदारी के राष्ट्रपति बनने के बाद भाई बिलावल का सहारा भी बनना चाहती हैं। इसके लिए प्लान भी बिलावल और पिता आसिफ अली जरदारी ने तैयार किया है।
आसिफा के सामने दो ऑप्शन
रिपोर्ट के मुताबिक- आसिफा के सामने सांसद बनने के दो विकल्प हैं। दरअसल, यह तय है कि आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति बनेंगे। अगर ऐसा होता है तो आसिफा के पास शहदकोट के अलावा नवाबशाह की सीट भी विकल्प के तौर पर मौजूद है। यहां से अभी फिलहाल, जरदारी चुनाव जीते हैं।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी जब 8 फरवरी को हुए इलेक्शन के पहले कैम्पेन कर रही थी, तब ही पार्टी ने ये तय कर लिया था कि अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत यानी 134 सीटें नहीं मिलतीं तो इन हालात में पार्टी बिलावल की मदद के लिए परिवार का ही कोई चेहरा लाएगी।
जरदारी की बड़ी बेटी यानी आसिफा की बड़ी बहन बख्तावर शादी के बाद दुबई में सैटल हो चुकी हैं। उनका सियासत से कोई वास्ता नहीं है। लिहाजा, माना ये जा रहा है कि आसिफ अली की बढ़ती उम्र और सियासत में आखिरी पारी के पहले आसिफा को भी सियासी तौर पर प्लेटफॉर्म दिया जाए।
भविष्य में मरियम बनाम आसिफा
पाकिस्तान की सियासत में आने वाले कुछ साल नए चेहरों के लिए खास हो सकते हैं। जरदारी परिवार की तरफ से अगर बिलावल के बाद आसिफा को उतारने की तैयारी है, तो दूसरी तरफ नवाज शरीफ के परिवार की तरफ मरियम पंजाब की मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। इसका अलावा नवाज का बेटा हमजा भी इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में एंट्री कर चुका है।
इन दो सियासी कुनबों के अलावा तीसरी पार्टी इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी PTI है। इसके पास इमरान के अलावा सेकंड लाइन लीडरशिप की कमी साफ दिखाई देती है। इसकी वजह यह है कि इमरान ही PTI हैं और इमरान ही PTI की रीढ़ हैं। अगर वो नहीं तो पार्टी का वजूद खतरे में दिखाई देता है।
इमरान के खिलाफ सख्त तेवर
तीन साल पहले यानी 2021 में भी आसिफा ने भाई बिलावल के साथ कई रैलियां की थीं। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे। एक रैली में आसिफा ने कहा था- अब वक्त आ गया है, जब मुल्क की सत्ता पर काबिज सिलेक्टेड सरकार को घर भेजा जाए। हम सब इमरान को इलेक्टेड नहीं, बल्कि सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर मानते हैं।
आसिफा ने आगे कहा था- इस्लामाबाद में बैठी सरकार इस गलतफहमी में है कि वो अपोजिशन को दबा लेगी। हम हर जुल्म के खिलाफ आवाज उठाएंगे। इमरान को एक ही मैसेज है- आपका वक्त खत्म हो गया है। अब बोरिया बिस्तर बांधकर रवाना हो जाइए। मेरी मां ने मुल्क के लिए कुर्बानी दी। पिता आज भी संघर्ष कर रहे हैं। इमरान को लगता है कि हम लोग जुल्म से डर जाएंगे। अगर वो हमारे भाईयों को गिरफ्तार करेंगे तो हम बहनें उनका सख्ती से मुकाबला करेंगी।
जरदारी परिवार पर नजर
आसिफ जरदारी और बेनजीर के तीन बच्चे हैं। 30 साल की आसिफा सबसे छोटी हैं। उनकी पूरी एजुकेशन ब्रिटेन में हुई। आसिफा की बड़ी बहन बख्तावर की शादी लंदन के एक बिजनेसमैन से शादी हुई है। भाई बिलावल PPP चेयरमैन हैं। पिता दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। मां बेनजीर की 27 दिसंबर 2007 को हुए एक फिदायीन हमले में मौत हो गई थी।