हुकमचंद मिल के मजदूरों को है उम्मीद आज खत्म होगा इंतजार
Updated on
19-06-2023 06:52 PM
इंदौर। हुकमचंद मिल मामले में सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होना है। मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन को उम्मीद है कि उनका 32 वर्ष से चला आ रहा इंतजार अब खत्म हो जाएगा। नगर निगम और हाउसिंग बोर्ड उनके पक्ष में निर्णय लेगा और उन्हें राहत मिलेगी। दरअसल मिल बंद होने के बाद से ये मजदूर अपने हक के लिए न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं।
मिल की जमीन बेचकर इनका बकाया भुगतान होना है, लेकिन जमीन बिक नहीं पा रही थी। अब नगर निगम ने हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से इस जमीन पर हाउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने की पहल की है। हाउसिंग बोर्ड मिल के मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये देने को भी तैयार है। इधर मजदूरों का कहना है कि मिल बंद होने से लेकर मिल का कब्जा परिसमापक को सौंपे जाने की अवधि का ब्याज भी उन्हें दिलवाया जाए। मिल परिसमापक को सौंपे जाने के बाद से आज दिनांक तक का ब्याज छोड़ने को मजदूर तैयार हैं।
हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हो गया था। 20 जुलाई 2001 को इस मिल को परिसमापक को सौंप दिया गया। मजदूरों का कहना है कि न्यायालय ने जो मुआवजा उनके लिए तय किया है उस रकम पर मिल का कब्जा परिसमापक को सौंपे जाने तक का ब्याज दिलवाया जाए। यह रकम करीब 88 करोड़ रुपये होती है।
इधर हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि मिल की जमीन विकसित करने और वहां प्रोजेक्ट लाने पर काफी रकम खर्च करना पडेगी। इसके अलावा उसे मजदूरों के 174 करोड़ रुपये भी देना है। इसके बाद भी प्रोजेक्ट से होने वाला मुनाफा नगर निगम के साथ बांटना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में उसके लिए मजदूरों को बकाया रकम पर ब्याज देना संभव नहीं है।
मजदूरों का कहना है कि इसके पहले भी उज्जैन की मिलों को कोर्ट ब्याज दिलवा चुका है। जिस दर से उज्जैन की मिलों को ब्याज दिलवाया गया है उसी दर से उन्हें भी दिलवाया जाए।
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