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वर्क फ्रॉम होम या ऑफिस-ऑफिस, कर्मचारियों के दिल में जानिए क्या

Updated on 05-06-2023 08:16 PM
नई दिल्ली : कोरोना के बाद से कॉरपोरेट वर्क कल्चर (Corporate Work Culture) में काफी ज्यादा बदलाव आया है। कोविड के कारण लंबे समय से वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) रहा। उसके बाद हाइब्रिड तरीके (Hybrid System) से कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया गया। यानी हफ्ते में कुछ दिन ऑफिस से काम और कुछ दिन घर से। अब जब कंपनियां कर्मचारियों को पूरी तरह से ऑफिस बुला रही हैं, तो कर्मचारी हाइब्रिड सिस्टम को छोड़ना नहीं चाहते। अधिकांश कर्मचारी अपनी साइक्लोजिकल सेफ्टी (Psychological Safety) और अच्छी हेल्थ के लिए हाइब्रिड कल्चर को बेहतर मान रहे हैं। ऐसा हाइब्रिड कल्चर में बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस के चलते है।

क्या है साइक्लोजिकल सेफ्टी

साइक्लोजिकल सेफ्टी। यह एक ऐसा शब्द है जो महामारी के बाद वर्कप्लेस पर काफी यूज हुआ। इसमें टीम मेंबर्स का यह मानना होता है कि जोखिम लेना, आइडिया और कंसर्न को व्यक्त करना, सवाल करना और गलतियां मानना ये सब कुछ नेगेटिव परिणाम के डर के बिना होना चाहिए।

ऑफिस में सबसे कम साइक्लोजिकल सेफ्टी

एक स्टडी के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड कल्चर की तुलना में ऑफिस में वर्कर्स सबसे कम साइक्लोजिकल सेफ्टी अनुभव करते हैं। एचआर सॉल्यूशंस एंड स्टाफिंग फर्म Gi ग्रुप होल्डिंग्स ने टीओआई के साथ एक स्टडी शेयर की है। इसमें कहा गया कि पुरुष कर्मचारी महिला कर्मचारियों की तुलना में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।

हाइब्रिड मोड में वर्क-लाइफ बैलेंस ज्यादा

जीआई ग्रुप होल्डिंग की कंट्री मैनेजर (इंडिया) सोनल अरोड़ा ने कहा, 'हाइब्रिड मोड में कर्मचारी अधिक लचीलापन और वर्क लाइफ बैलेंस पा सकते हैं। इसलिए वे फुल वर्क फ्रॉम ऑफिस की बजाय हाइब्रिड सिस्टम या वर्क फ्रॉम होम को पसंद करते हैं। कुछ करने की अनिवार्यता होने की बात कर्मचारियों पर बोझ डालती है और उन्हें कम सुरक्षित महसूस कराती है।'

मनोवैज्ञानिक रूप से भी सेफ हो वर्कप्लेस


पब्लिसिस सैपिएंट में भारत और एशिया-प्रशांत की डायरेक्टर विशाखा दत्ता ने कहा, 'वास्तव में समावेशी संगठन वे हैं, जो ऐसा वातावरण बनाते हैं, जहां कर्मचारी काम करने में सहज महसूस करता है। इसके लिए सेफ स्पेस चाहिए होता है- सिर्फ फिजिकली ही नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी।' कंपनियों के अनुसार वर्कप्लेस के बारे में पूर्वाग्रह, मिसकंडक्ट और बार-बार या अचानक छुट्टी लेना सबसे बड़े खतरे हैं, जो मनोवैज्ञानिक रूप से असुरक्षित वर्कप्लेस का संकेत देते हैं। दत्ता ने कहा, 'पारंपरिक रूप से वंचित और हाशिए पर रहने वाले ग्रुप्स के लोगों को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा की सबसे अधिक जरूरत होती है। यह जरूरी है कि वर्कप्लेस पर विविधता वाली वर्कफोर्स हो, क्योंकि इससे समग्र दृष्टिकोण मिलता है।'

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