केजरीवाल सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं कर रहा केंद्र, क्या बोम्मई केस वाले 'सुप्रीम ऑर्डर' से डर रही है बीजेपी?
Updated on
28-03-2024 01:49 PM
नई दिल्ली:दिल्ली शराब घोटाले का आरोप में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ने पर घमासान मचा हुआ है। अब केंद्र सरकार से भी सवाल पूछा जाने लगा है कि आखिर वो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगा रही है? इसके जवाब में केंद्र की सत्ता में आसीन बीजेपी एसआर बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे रही है। उधर, बीजेपी से सवाल करने वाले उस पर यह आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी डरी हुई है कि केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने से कहीं आम जनता के मन में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रति सहानुभूति न पैदा हो जाए। इनका कहना है कि दिल्ली संवैधानिक संकट के दौर से गुजर रहा है तो केंद्र सरकार मूकदर्शक बने नहीं बैठी रह सकती है। परंपरा तोड़कर ईडी की हिरासत से ही सरकार चलाने की सीएम अरविंद केजरीवाल की जिद्द पर न्यूज चैनलों में भी बहस हो रही है। इसी तरह के एक कार्यक्रम में बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु तिवारी और पूर्व पत्रकार एवं पूर्व आप नेता आशुतोष के बीच दलीलों का दौर चला। दोनों की दलीलों के बीच हम यह भी जानेंगे कि आखिर एसआर बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट का वो ऑर्डर क्या था जिसका हवाला देकर बीजेपी केजरीवाल सरकार को बर्खास्त नहीं करने को जायज बता रही है।
राष्ट्रपति शासन पर दोतरफा दलीलें जानिए
एक टीवी डिबेट में आशुतोष ने बीजेपी और आप, दोनों पर संवैधानिक मर्यादा का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का सीएम पद से इस्तीफा नहीं देना, ऊपर से दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) का कोई कदम नहीं उठाना, संविधान के साथ मजाक नहीं तो और क्या है। आशुतोष कहते हैं कि जेल जाते ही अरविंद केजरीवाल कोई फैसला लेने में अक्षम हो गए हैं, इसलिए वो सरकार नहीं चला सकते। ऐसे में उपराज्यपाल (वीके सक्सेना) की संवैधानिक जिम्मेदारी होती है कि वो विधानसभा अध्यक्ष के जरिए सदन को बताएं कि चूंकि अरविंद केजरीवाल अब मुख्यमंत्री के रूप में अक्षम हो चुके हैं तो आप सदन का नया नेता चुन लें। अगर विधानसभा अपना नया नेता नहीं चुने तो एलजी का अगला दायित्व केंद्र सरकार को वाकिफ करवाने का है कि चूंकि दिल्ली विधानसभा ने नया नेता चुनने को तैयार नहीं है, इस कारण प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है जिसके समाधान के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
बीजेपी प्रवक्ता ने दिया बोम्मई केस का हवाला
इस पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जब विधानसभा सत्र में है तब एलजी कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं? ध्यान रहे कि दिल्ली की विधानसभा का हमेशा सत्र में रहती है। उन्होंने आगे एसआर बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'एसआर बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी सरकार को रहने का अधिकार है या नहीं, यह सिर्फ सदन के पटल पर तय हो सकता है। उसमें ये भी लिखा हुआ है कि यह बात किसी व्यक्ति की निजी राय का विषय नहीं हो सकती, चाहे वह व्यक्ति राज्यपाल या राष्ट्रपति ही क्यों न हो।'
पश्चिम बंगाल सरकार ने संदेशखाली केस की जांच को CBI को सौंपे जाने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सोमवार (29 अप्रैल) को…
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का कुनबा सेक्स स्कैंडल के आरोपों में घिर गया है। देवगौड़ा के विधायक बेटे एचडी रेवन्ना (67) और सांसद पोते प्रज्वल रेवन्ना (33) के खिलाफ उनकी…
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मिलने की परमिशन मिल गई है। पहले जेल प्रशासन ने मुलाकात की परमिशन…
देश में तेज गर्मी का असर लगातार जारी है। मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए आज हीटवेव…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार 27 अप्रैल को महाराष्ट्र के कोल्हापुर और गोवा के वास्को में सभा करेंगे। महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट, भाजपा और NCP अजित पवार गठबंधन की सरकार…
जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जेल बदली जा रही है। शनिवार सुबह उन्हें जौनपुर जेल से हाई सिक्योरिटी बरेली जेल ले जाया गया। पुलिस एंबुलेंस से पूर्व सांसद…