प्योंगयॉग । एक
तरफ उत्तर कोरियाई
के सनकी तानाशाह
किम जोंग उन
की मौत की
अटकलें लग रही
हैं,वहीं दूसरी
ओर वहां कई
अजीबोगरीब फैसले लिए जा
रहे हैं।एक फैसले
के तहत सितंबर
से वहां हर
बच्चे का स्कूल
आना अनिवार्य होगा।
फैसला वहां पर
कोरोना की चर्चाओं
के बाद भी
लिया गया है।
सिर्फ स्वस्थ बच्चों
को ही स्कूल
नहीं आना है,
बल्कि बीमार बच्चे
भी स्कूल आएंगे
और उसके बाद
वे घर नहीं
जा सकते है।बीते
दिनों नॉर्थ कोरिया
में भी कोरोना
संक्रमण फैलने की बात
आने लगी। इसकी
जानकारी मीटिंग की फोटो
से भी मिली।
तस्वीर में किम
जोंग मास्क लगाए
हुए थे और
सभी कुर्सियों के
बीच अच्छी-खासी
दूरी थी। हालांकि
किम जोंग लगातार
इनकार करते रहे
कि उनके यहां
कोरोना का कोई
मामला है। हालांकि
एक्सपर्ट इस बात
को नहीं मानते
हैं कि किसी
देश में महामारी
का कोई प्रकोप
न हो। इंटरनेशनल
फेडरेशन ऑफ रेड
क्रास जुलाई में
उत्तर कोरिया के
सीमावर्ती इलाकों में कोरोना
के लिए जागरुकता
फैलाने पहुंचा तो वहां
वायरस के कई
अनरिपोर्टेड मामले दिख गए।
इससे अनुमान और
पुख्ता हो गया
कि किम के
देश में भी
कोरोना फैला हुआ
तो है। इसी
बीच वहां 1 सितंबर
से स्कूल खोलने
के आदेश आ
चुके हैं। इसके
मुताबिक सभी बच्चों
को स्कूल बुलाया
गया है। अगर
कोई बच्चा बुखार
या सर्दी से
पीड़ित दिखाई दे,तब
उस स्कूल में
ही रोक लिया
जाएगा।वहां वहीं आसपास
आइसोलेट किया जाएगा,
जहां साथ में
उसकी पढ़ाई भी
होगी। उसे घर
लौटने या अस्पताल
जाने की अनुमति
नहीं दी जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार
सिर्फ उन्हीं हालातों
में स्कूल कोई
अलग फैसला ले
सकता है, जब
किसी क्लास में
7 प्रतिशत से ज्यादा
बच्चे को तेज
बुखार हो। इसके
बाद भी किसी
क्लास को बंद
करने का अधिकार
स्कूल का नहीं
होगा, बल्कि उसे
पहले म्यूनिसिपल और
डिसीज कंट्रोल अथॉरिटी
को सूचित करना
होगा। इसके बाद
उन बच्चों को
अलग किया जाएगा,
जो बीमार हों
और स्कूल के
पास ही इलाज
दिया जाएगा. माता-पिता या
किसी को भी
उन बच्चों से
मिलने की इजाजत
नहीं होगी।
हालांकि पेरेंट्स इसपर चिंतित हैं लेकिन किम के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बता दें कि उत्तर कोरिया में किम परिवार की बात न मानने को सीधा देशद्रोह से जोड़ दिया जाता है और पूरे परिवार को कैद कर लिया जाता है।