जब घोड़े से हार गया था अमेरिका का पहला रेल इंजन, फिर क्या हुआ...
Updated on
17-06-2023 08:19 PM
नई दिल्ली: आम बोलचाल की भाषा में रेल इंजन को लोकोमोटिव (Locomotive) कहा जाता है। इनका अपना शानदार इतिहास रहा है और इनके आविष्कार ने दुनिया में क्रांति का सूत्रपात किया है। इन्होंने लोगों और गुड्स की आवाजाही के तरीके को पूरी तरह बदलकर रख दिया था। इसलिए औद्योगिक क्रांति (Indutrial Revolution) में इनकी बड़ी अहमियत मानी जाती है। हम सब जानते हैं कि भाप इंजन का आविष्कार इंग्लैंड के जेम्स वाट (James Watt) ने किया था। सन 1825 में सवारी और बोझा ले जाने वाली पहली रेलगाड़ी बनी जो भाप इंजन से चलती थी। शुरुआत में बने भाप इंजन कई बार मुश्किल जगहों से नहीं गुजर पाते थे। यही वजह है ट्रेन को खींचने के लिए घोड़ों की मदद लेनी पड़ती थी। अमेरिका में उस दौर में भी रेलगाड़ी को घोड़े ही खींचते थे। क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में बना पहला लोकोमोटिव इंजन घोड़े से रेस हार गया था?
यह बात साल 1830 की है। अमेरिका का बाल्टीमोर एंड ओहियो रेलरोड तब घोड़ों के सहारे चल रहा था। इनवेस्टर्स चाहते थे कि घोड़ों की जगह इंजन के यह काम कराया जाए। लेकिन ब्रिटेन के इंजीनियरों को संदेह था कि स्टीम से चलने वाला इंजन खड़ी चढ़ाई और तेज मोड़ों पर काम कर पाएगा। आखिर यह इंजन बनाने की जिम्मेदारी इनवेंटर और बिजनसमेन पीटर कूपर (Peter Cooper) को दी गई। 39 साल के कूपर ने एक एफिशियंट स्टीम इंजन बनाया और इसे टॉम थंब (Tom Thumb) नाम दिया। यह इंजन 18 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता था। यानी यह घोड़े की तुलना में कहीं ज्यादा फास्ट था। लेकिन घोड़ों से गाड़ी खींचने का काम करने वाले ऑपरेटर्स को यह बात पसंद नहीं आई। उन्होंने पीटर कूपर को रेस लगाने की चुनौती दी जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
कैसे जीता घोड़ा
जैसे ही रेस शुरू होने का सिग्नल मिला, घोड़े ने रेस लगा दी। दूसरी ओर भाप के इंजन को शुरू होने में देर लगी। जब तक इंजन शुरू हो पाता घोड़ा आधा मील निकल चुका था। आखिरकार इंजन शुरू हुआ और जल्दी ही इसने घोड़े को पीछे छोड़ दिया। अभी यह लीड बना ही रहा था कि एक अनहोनी हो गई। इसका लेदर ब्लोअर बेल्ट पहिये से निकल गया और इंजन रुक गया। जब तक कूपर इसे ठीक करते तब तक बहुत देर हो चुकी थी। घोड़ा रेस जीत चुका था। लेकिन कूपर ने हार नहीं मानी और अगले साल इसमें सुधार करके नया स्टीम लोकोमोटिव बनाया। यह 30 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता था। साल 1831 में बाल्टीमोर में इसका ट्रायल सफल रहा।
इसके बाद अमेरिका में ट्रेन को खींचने के लिए घोड़ों की जगह इस इंजन का इस्तेमाल होने लगा। बाद में भाप इंजन की जगह डीजल इंजन आया और फिर इलेक्ट्रिक इंजन ने जगह बनाई। आज बुलेट ट्रेन 250 मील प्रति घंटे की स्पीड से फर्राटा भर रही हैं लेकिन जल्दी ही इनका जमाना भी लद सकता है। एलन मस्क (Elon Musk) का दावा है कि उनका हाइपरलूप (Hyperloop) 670 मील प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा तेजी से चल सकता है। कूपर का आविष्कार सफल रहा लेकिन उन्होंने फिर कोई और लोकोमोटिव नहीं बनाया। इसके बजाय उन्होंने दूसरे वेंचर्स का रुख किया। उनकी रोलिंग मिल अमेरिका में आई-बीम्स बनाने वाली पहली कंपनी थी।
कूपर का क्या हुआ
साथ ही बेसेमर प्रोसेस से स्टील बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। कूपन ने रिमोट कंट्रोल से चलने वाला एक टॉरपीडो भी विकसित किया था और पाउडर जिलेटिन के लिए भी पेटेंट हासिल किया था। 1876 में वह 85 साल उम्र में ग्रीनबैक पार्टी की ओर से अमेरिका में राष्ट्रपति पद से उम्मीदवार भी बने थे। वह अमेरिका के इतिहास में राष्ट्रपति चुनावों के लिए नॉमिनेशन पाने वाले सबसे उम्रदराज शख्स थे। कूपर ने अपनी अधिकांश संपत्ति न्यूयॉर्क के कूपर यूनियन ऑफ द एडवांसमेंट ऑफ साइंस एंड आर्ट को दान कर दी थी। यह आज भी अमेरिका के टॉप कॉलजों में शामिल है।
नई दिल्ली: मिलावटी पनीर की बढ़ती समस्या को देखते हुए उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय रेस्तरां के लिए इस बारे में दिशानिर्देश जारी करने पर विचार कर रहा है। कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे ने…
नई दिल्ली: अगर आप एटीएम से 100 या 200 रुपये का नोट न मिलने से परेशान हैं, तो यह परेशानी जल्दी दूर हो सकती है। इस बारे में रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को दिशा-निर्देश…
नई दिल्ली: गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर में मंगलवार को तेजी आ गई। इस कंपनी के शेयर में तेजी आने के कई कारण रहे। पहला, कंपनी को वित्त वर्ष 2025 की चौथी…
नई दिल्ली: सोने की कीमतें भले ही आसमान छू रही हों, लेकिन अक्षय तृतीया के मौके पर गहनों की दुकानें ग्राहकों को लुभाने के लिए नए-नए ऑफर्स लेकर आई हैं। अक्षय तृतीया कल यानी बुधवार…
नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक कई ताबड़तोड़ फैसले लिए हैं। खासकर कई…
नई दिल्ली: करजन टोल प्लाजा देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टोल प्लाजा है। इसकी सालाना कमाई करीब 500 करोड़ रुपये है। गुजरात के वडोदरा जिले के भरथाना में स्थित इस…