एथलेटिक्स में पिछली बार से बेहतर करेंगे, हमारे एथलीट अपना बेस्ट दें तो कुछ भी संभव
Updated on
22-07-2024 02:28 PM
ओलिंपिक में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में हम निश्चित तौर पर पिछली बार से बेहतर करेंगे। जब मैं पहले से बेहतर करने की बात कहता हूं तो मेडल की बात नहीं करता। मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं। मैं एथलिटक्स में प्रगति की बात करता हूं। जैसे आप देखें एथलेटिक्स में एशियन गेम्स में 13 से 20 से 29 मेडल तक पहुंचे हम। कॉमनवेल्थ गेम्स में हमने तीन, तीन मेडल जीतने के बाद आठ तक पहुंचे। हमें यह देखना चाहिए कि एथलेटिक्स में हमारे कितने खिलाड़ी फाइनल में आए, कितने टॉप-6 में आए या टॉप-5 में आए। प्रगति की यही प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सही रही तभी हम मेडल तक पहुंच सकते हैं। एथलेटिक्स में कुछ भी कहना मुश्किल होता है। उदाहरण के तौर पर देखिए कि जैवलिन थ्रो में दुनिया में ऐसे चार एथलीट हैं जिन्होंने 90 मीटर से ऊपर थ्रो किया है। मगर हर बार जब मुकाबला हुआ तो नीरज 88-89 मीटर की थ्रो में ही गोल्ड जीत गए। ऐसे ही देखिए वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्टीपलचेज का गोल्ड मेडल 8 मिनट 25 सेकंड में ही मिल गया। इतने में तो अविनाश साबले नींद में भी दौड़ सकते हैं। मगर वह वहां पीछे छूट गए।
तैयारी में कोई कमी नहीं
आज हमारे एथलीट्स की बेस्ट ट्रेनिंग हो रही है। हमारे पास ऐसे कोच हैं जो खुद वर्ल्ड चैंपियन या ओलिंपिक मेडलिस्ट हैं। नीरज को लगातार बाहर ट्रेनिंग की सुविधा मिली है। इसका फायदा हमें मिला है। हमारा अब तक का सफर काफी अच्छा रहा है। हमारे खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया है। जैसे लॉन्ग जंपर जेस्विन का बेस्ट आठ मीटर 42 सेंटीमीटर है। अगर यह प्रदर्शन दोहरा दें तो कुछ भी संभव है। साबले अब आठ मिनट 10 सेकंड से कम में दौड़ चुके हैं। हमारी रिले टीम में चार ऐथलीट 45 सेकंड वाले हैं। वह टॉप-5 में आने की क्षमता रखते हैं। नीरज की चर्चा हो रही है। मैं उनके बारे में कह सकता हूं कि उनके जैसा कॉन्सिस्टेंट परफॉर्मर मैंने नहीं देखा। उनकी सबसे बड़ी खासियत है कि वह वर्तमान में रहते हैं। आज और अभी के बारे में सोचते हैं। ऐसा फोकस कम ही खिलाड़ियों में है। उनकी तकनीक भी दुनिया में बेस्ट है। उनकी यही खासियतें उन्हें हर बार विजेता बनाती हैं।
अपना रेकॉर्ड बेहतर करें
हमारा मकसद रहता है कि ज्यादा एथलीट्स ओलिंपिक में जाएं। हमारी बेंच स्ट्रेंथ बढ़े। हम सिर्फ यही चाहते हैं कि हमारे ऐथलीट अपना बेस्ट दें। अपना ही रेकॉर्ड तोड़ें, एशियन रेकॉर्ड बनाएं। हम कभी अपने एथलीट्स से नहीं कहते कि हमें मेडल चाहिए। हमारा सिर्फ इतना कहना होता है कि आपका अब तक का जो बेस्ट है, उससे बेहतर करें। अगर इस परफॉर्मेंस से आपको मेडल आता है तो उससे बेहतर क्या हो सकता है। अगर इसके बावजूद आपको मेडल नहीं आता तो आपको खुश होना चाहिए कि आपने अपने करियर का बेस्ट दिया है। मेरी यही सोच है कि आपकी प्रक्रिया ठीक है तो प्रगति होगी। इससे मेडल भी मिलेंगे। अगर सिर्फ मेडल के बारे में सोचते रहेंगे तो आपके अपने प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। एथलीट्स को सिर्फ यही सोचना है कि आप अपने बेस्ट को और बेहतर करें।
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