गाजा में युद्धविराम पर आया यूएन में प्रस्ताव, अमेरिका ने किया खारिज, जानिए क्या रहा भारत का रुख
Updated on
09-12-2023 01:34 PM
न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में गाजा में संघर्ष विराम पर आया प्रस्ताव असफल हो गया है। इस प्रस्ताव को अमेरिका की तरफ से खारिज कर दिया गया है। यह प्रस्ताव तब आया जब यूएनएससी में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 को लागू किया। यह वह नियम है जो संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे उठाने में सक्षम बनाता है। गुटारेसे ने गाजा में 'मानवीय तबाही' की चेतावनी दी थी। ह्यूमन राइट्स वॉच, ऑक्सफैम और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने अमेरिका के कदम की निंदा की है।
अमेरिका ने क्यों किया खारिज प्रस्ताव के पक्ष में 13 देश थे जिसमें तीन स्थायी सदस्य रूस, चीन और फ्रांस भी शामिल हैं। यूके वोटिंग से गायब रहा। रॉबर्ट वुड ने काउंसिल में यूएन की आलोचना की और कहा कि वह इजरायल में हमलों की निंदा करने में असफल रहा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समर्थित प्रस्ताव पर अमेरिका के यूएन में उप राजदूत रॉबर्ट वुड ने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने से हमास को गाजा पर शासन जारी रखने की मंजूरी मिल जाएगी। साथ ही यह प्रस्ताव सिर्फ अगले युद्ध के लिए बीज बोने का काम करेगा। भारत की तरफ से आठ दिसंबर को हुई बहस में हिस्सा लिया गया था। लेकिन प्रस्ताव पर उसके रुख की अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है। भारत ने 13 नवंबर को आए एक प्रस्ताव में इजरायल के खिलाफ वोट किया था।
हमास ने की निंदा फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह और यूएन में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने भी अमेरिकी वीटो की निंदा की। मंसूर ने इसे दुखद दिन बताया है। वहीं, हमास ने भी वीटो की निंदा करते हुए इसे अनैतिक और अमानवीय स्थिति बताया। मतदान में भाग नहीं लेने वाले एकमात्र देश के तौर पर ब्रिटेन का कहना है कि देश उस प्रस्ताव पर मतदान नहीं कर सकता जो हमास के अत्याचारों की निंदा नहीं करता जिसमें सात अक्टूबर को निर्दोष इजरायली नागरिकों को निशाना बनाया गया था। हमास के हमले के बाद से ही इजरायल की सेनाएं गाजा को निशाना बना रही हैं। क्या था प्रस्ताव में ड्राफ्ट को अन्य अरब देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का समर्थन हासिल है। लेकिन किसी प्रस्ताव को अपनाने के लिए 15 सदस्यों वाली यूएनएससी में कम से कम नौ को इसके पक्ष में मतदान करना जरूरी है। काउंसिल के पांच स्थायी सदस्यों -अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके में से अगर कोई वीटो कर देगा तो इसे खारिज कर दिया जाएगा। जो प्रस्ताव लाया गया उसमें तत्काल मानवीय युद्धविराम" के साथ-साथ सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई और मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की गई थी। यूएन में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने वीटो के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया।
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