मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि गाजा में अब तक 26 हजार आम लोग मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद इजराइल और हमास की जंग बंद होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
इस बीच UN चीफ एंतोनियो गुतरेस ने कहा है कि गाजा में आम लोगों का लगातार मारा जाना शर्मनाक है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस बीच, अमेरिका और यूरोप इजराइल से मांग कर रहे हैं कि वो अपने पोर्ट से गाजा में राहत सामग्री भेजने की मंजूरी दे।
अब तक 26 हजार लोगों की मौत
UN चीफ के मुताबिक- गाजा में जिस तरह की तबाही हो रही है, उसको सपने में भी नहीं सोचा जा सकता। कहा जा रहा है कि वहां अब तक 26 हजार लोग मारे जा चुके हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसलिए इस जंग को फौरन रोका जाना चाहिए और दुनिया को आगे आकर गाजा में इंसानियत के नाते पूरी मदद करना चाहिए।
गुतरेस ने कहा- हम इजराइल से मांग करते हैं कि वो जल्द से जल्द गाजा में सीजफायर का ऐलान करे। इसके अलावा गाजा के उन लोगों को फौरन राहत सामग्री और इलाज मिलना चाहिए, जिन्हें इसकी जरूरत है।
UN चीफ ने इजराइल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बारे में कुछ नहीं कहा। इस हमले में 1200 इजराइली नागरिक मारे गए थे। इसके अलावा 234 को बंधक बना लिया था। अब भी 132 होस्टेज हमास की कैद में है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू साफ कर चुके हैं कि बंधकों की रिहाई के लिए कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अमेरिका और यूरोप की मांग
अमेरिका और यूरोप के अफसरों की एक टीम इजराइल के दौरे पर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- इन अफसरों ने इजराइल सरकार से कहा है कि वो अपने पोर्ट का इस्तेमाल गाजा में राहत सामग्री भेजने के लिए करने की मंजूरी दे। हालांकि, इस बारे में कोई ऑफिशियल स्टेटेंट जारी नहीं किया गया है।
माना जा रहा है कि कतर में बातचीत के दौरान कई अफसरों ने इजराइल के सामने यह शर्त रखी है कि बंधकों की रिहाई के लिए धीरे-धीरे रास्ते खोलने होंगे और इसके लिए पहला चरण यही है कि इजराइल अपने पोर्ट से गाजा में राहत सामग्री को भेजने की मंजूरी दे। इजराइल ने साफ कर दिया है कि जब तक यह गारंटी नहीं मिल जाती कि हमास के आतंकी इस राहत सामग्री का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब तक वो अपने पोर्ट के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं देगा।
इस बीच नेतन्याहू ने फिर जंग रोकने से इनकार कर दिया है। हमास ने बंधकों के बदले जंग रोकने की मांग की थी। नेतन्याहू ने कहा कि उन्हें अलग फिलिस्तीन देश की मांग मंजूर नहीं है।