रूस और यूक्रेन की जंग को इसी महीने 24 तारीख को दो साल पूरे हो जाएंगे। यूक्रेन के कई शहर इस जंग में मलबे में तब्दील हो चुके हैं। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की ने मुल्क टॉप आर्मी ऑफिसर या कहें आर्मी चीफ को ही पद से हटा दिया है।
यूक्रेन के अखबार ‘कीव इंडिपेंडेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक- जनरल वेलेरी झालुझेयनी को हटाने का ऐलान करते हुए जेलेंस्की ने कहा- देश सेवा के लिए जनरल वेलेरी का शुक्रिया। इसकी वजह उनका खराब काम नहीं, बल्कि हम आर्मी में अहम बदलाव करना चाहते हैं।
सेना में वेलेरी बहुत लोकप्रिय
जेलेंस्की भले ही फौज में बड़े बदलाव का दावा कर रहे हों, लेकिन सच्चाई ये है कि कई महीनों से वेलेरी और प्रेसिडेंट के बीच तनाव की खबरें थीं। माना जा रहा है कि मिलिट्री में बड़ा फेरबदल इसी वजह से हुआ है कि जेलेंस्की इस टॉप जनरल को खतरे के तौर पर देखने लगे थे।
रिपोर्ट के मुताबिक- वेलेरी फौज में बेहद पॉपुलर हैं और आम लोग भी उन्हें पसंद करते हैं। अब उनकी जगह कमांडर इन चीफ जनरल एलेक्जेंडर सायरस्की लेंगे। जेलेंस्की ने कहा- फौज को रीसेट करना जरूरी था। यह फैसला काफी लोगों ने मिलकर किया है।
माना जा रहा है कि जेलेंस्की ने यह बदलवा इसलिए भी किया है, क्योंकि लोग इस जंग से परेशान हो चुके हैं और खुद प्रेसिडेंट की लीडरशिप को लेकर भी कई तरह के सवालिया निशान लगने लगे हैं।
जंग के जल्द खत्म होने की उम्मीद नहीं
रूस पर इस जंग का ज्यादा असर नहीं हुआ, लेकिन यूक्रेन को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इसके अलावा लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी भी तबाह होती जा रही है। यूक्रेन के मिलिट्री एक्सपर्ट भी मानने लगे हैं कि यह जंग फिलहाल खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं है।
यूक्रेन के पास भी अब सैनिकों की कमी होने लगी है। पिछले साल जब जंग शुरू हुई थी तो आम लोग भी फौज में शामिल होने के लिए आने लगे थे, हालांकि वक्त गुजरने के साथ अब सैनिकों की कमी होने लगी है। इसके अलावा देश के कई अहम हिस्सों पर रूसी सेना का कब्जा हो चुका है।
पिछले हफ्ते जरूर यूक्रेनी मीडिया ने दावा किया था कि एयरफोर्स ने रूस का एक फाइटर जेट गिरा दिया है। इसके बावजूद यूक्रेन के कई हिस्से ऐसे हैं, जिनको उसकी फौज रूस से वापस नहीं ले सकी है। अब मिलिट्री की टॉप रैंक में बदलाव के जरिए लोगों में नई उम्मीद जगाने की कोशिश की जा रही है।
हार नहीं मानेंगे
नवंबर 2023 में जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंट जो बाइडेन से मुलाकात की थी। इसके बाद मीडिया से बातचीत में कहा था- कई देश कह रहे हैं कि यूक्रेन घुटने टेक दे और रूसी कब्जे को कबूल कर ले। ये बात बहुत गलत है ऐसा कहने वाले लोग पागल हैं। यूक्रेन क्यों हार मान जाए? यहां लोग रहते हैं। बच्चे है, महिलाएं हैं, परिवारों की यादें हैं। हम अपनी जमीन आतंकियों को नहीं देंगे। यूक्रेन के लोग आखिरी सांस तक जंग लड़ेंगे।
8 हजार करोड़ के अमेरिकी हथियार गायब
पिछले महीने यानी जनवरी 2024 में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ऑडिट रिपोर्ट में एक अहम खुलासा हुआ था। इसके मुताबिक- रूस से जंग लड़ने के लिए यूक्रेन की मदद कर रहे अमेरिका को नहीं पता की उनकी तरफ से दिए गए 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हजार करोड़ रुपए के हथियार कहां हैं।
पेंटागन के इंस्पेक्टर जनरल के मुताबिक- यूक्रेन को भेजे गए 8 हजार करोड़ रुपए के हथियारों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। शक जताया गया है कि या तो एक बिलियन डॉलर के हथियारों को कहीं और भेज दिया गया है या उनकी लूट हुई है।
न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक डिफेंस डिपार्टमेंट के ऑफिस ने गुरुवार को दिखाया कि यूक्रेन को दी गई 1.7 बिलियन डॉलर की मदद से 59% यानी लगभग 1 बिलियन डॉलर का कोई ब्योरा ही नहीं है। ये रिपोर्ट उस वक्त आई है जब अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी यूक्रेन और इजराइल को दी जाने वाली 105 बिलियन डॉलर की मदद को रोके हुए है।
अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट के प्रेस सेक्रेटरी ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक राइडर ने अपने ही रक्षा विभाग के दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि हथियारों को कहीं और भेजा गया। हमने हथियारों को यूक्रेन में तैनात और उनका इस्तेमाल होते हुए देखा है।
अमेरिकी कांग्रेस ने अब तक नाटो और यूक्रेन को 100 बिलियन डॉलर की मदद दी है। इसमें से 75 बिलियन डॉलर की मदद यूक्रेन को गई है। अमेरिका ने यूक्रेन को एंटी टैंक मिसाइल, जमीन से जमीन पर वार करने वाली मिसाइलें, कामिकाजे ड्रोन, आर्मर्ड व्हीकल जैसे दर्जनों हथियार दिए हैं।