मध्य प्रदेश में खुल रहे 'आदिवासी कैफे', कोदो-कुटकी के साथ मिलेगा मिलेगा मक्का-महुआ का स्वाद, MENU जान लीजिए
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27-10-2024 12:20 PM
भोपाल: मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर जल्द ही 'आदिवासी कैफेटेरिया' खुलेंगे। इसका उद्देश्य आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देना और स्थानीय आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
कहां खुलेंगे ये कैफे
सिवनी जिले में पेंच राष्ट्रीय उद्यान के पास तुरिया गांव में, बालाघाट जिले में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास और धार जिले के मांडू में जनजातीय कैफेटेरिया निर्माणाधीन हैं। इन कैफेटेरिया के माध्यम से पर्यटक क्षेत्रीय आदिवासी संस्कृति, भोजन, व्यंजन और शिल्प कौशल का अनुभव कर सकते हैं।
सीएम मोहन यादव ने किया ऐलान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदायों को रोजगार के अवसर प्रदान करना भी है। इस संबंध में एक औपचारिक प्रस्ताव जनजातीय कार्य विभाग के तहत वन्या संस्थान द्वारा तैयार किया गया था और सरकार को भेजा गया था। शासन से 5 ट्रायल कैफेटेरिया की मंजूरी मिली।
एमपीटी करेगा कैफेटेरिया का संचालन
ट्राइबल कैफेटेरिया का संचालन मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटी) द्वारा किया जाएगा। इसके लिए जनजातीय वर्ग के स्व-सहायता समूहों को जोड़ा जाएगा। ये समूह क्षेत्रीय जनजातियों के पारंपरिक व्यंजन तैयार करेंगे और उन्हें इस कैफेटेरिया के माध्यम से बेचेंगे।
पारंपरिक व्यंजन मिलेंगे
ट्राइबल कैफेटेरिया में जनजातियों का पौष्टिक भोजन, कोदो-कुटकी, ज्वार-बाजरा, मक्का-महुआ, चार-अचार से बने व्यंजन, मिठाई, हलवा आदि तैयार कर पर्यटकों को बेचा जाएगा।
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