आज शारदीय नवरात्रि की पांचवीं तिथि है I इस तिथि पर मां
दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है. चूंकि इस बार
शारदीय नवरात्रि में तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन होने के कारण
नवरात्रि 8 दिनों की है I इसलिए शारदीय नवरात्रि के आज चौथे दिन पंचम तिथि
पड़ रही है I नवरात्रि की पंचम तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है I स्कंदमाता का स्वरूप स्कंदमाता
का स्वरूप अत्यंत निराला है I इनकी चार भुजाएं हैं I इनकी दो भुजाओं में कमल
के फूल हैं I एक भुजा ऊपर को उठी हुई है I जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान
कर रहीं हैं I एक हाथ से पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए है I स्कंदमाता की
सवारी शेर है I हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिकेय (स्कंद) की माता
होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है I इनकी पूजा स्कंद अर्थात भगवान
कार्तिकेय की माता के रूप में किया जाता है I
अभय मुद्रा के चलते बनीं पद्मासना कार्तिकेय को देवताओं का कुमार
सेनापति भी कहा जाता है. कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कंद कुमार
आदि के रूप में जाना जाता है. मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर
अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं. पर्वतराज की बेटी होने से इन्हें
पार्वती कहते हैं i भगवान शिव की पत्नी होने के कारण एक नाम माहेश्वरी भी
है I गौर वर्ण के कारण गौरी भी कही जाती हैं I मां कमल के पुष्प पर विराजित
अभय मुद्रा में होती हैं. इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी
दुर्गा भी कहा जाता है I स्कंदमाता की पूजा का महत्व नवरात्रि
के 5वें दिन अर्थात पंचम तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. कहा
जाता है कि जो भी भक्त स्कंदमाता की विधि –विधान से पूजा करता है उसे संतान
सुख की प्राप्ति होती है I यश, बल और धन की वृद्धि होती है तथा मोक्ष के
द्वार खुल जाते हैं I स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी
कहा गया है I शास्त्रों के अनुासर, इनकी कृपा से मूर्ख भी विद्वान बन सकता है I स्कंदमाता
पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं हैं I
कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है I इनकी उपासना से उपासक तेज और कांतिमय हो जाता है I कहा जाता है
की यदि उपासक स्कंदमाता की उपासना एकाग्र मन और चित्त से करें तो उसे किसी
भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है I पांचवीं नवरात्रि पर मां के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा- अर्चना श्रेष्ठ मानी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख और ज्ञान की प्राप्ति होती है I
स्कंदमाता की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- आज 10 अक्टूबर को 04:40 ए एम से 05:29 ए एम अभिजित मुहूर्त - आज 10 अक्टूबर को 11:45 ए एम से 12:31 पी एम विजय मुहूर्त - आज 10 अक्टूबर को 02:04 पी एम से 02:51 पी एम गोधूलि मुहूर्त - आज 10 अक्टूबर को 05:45 पी एम से 06:09 पी एम
रवि योग - आज 10 अक्टूबर को 02:44 पी एम से 07:54 पी एम
पूजा विधि:
सूर्योदय से पहले उठकर पहले स्नान
कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब मंदिर या पूजा स्थल में चौकी लगाकर
स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा लगाएं. गंगाजल से शुद्धिकरण कर कलश में
पानी लेकर कुछ सिक्के डालकर चौकी पर रखें. पूजा का संकल्प लेकर
स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाकर नैवेद्य अर्पित करें. धूप-दीपक से मां की
आरती उतारें और प्रसाद बांटें. स्कंदमाता को सफेद रंग पसंद होने के चलते
सफेद कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं. मान्यता है इससे उपासक निरोगी
बनता है i
इस मंत्र का जाप कर लगाएं ध्यान वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।। धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्। अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥ प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्। कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
स्कंदमाता को प्रिय इन चीजें से लगाएं भोग मां
स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है I इनकी उपासना से
परम सुख और शांति का अनुभव होता है I मां स्कंदमाता को श्वेत रंग बेहद प्रिय
है I इसलिए मां की उपासना सफ़ेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करके करें I
पूजा के दौरान स्कंदमाता को केले या दूध की खीर का भोग अर्पित करें I