देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को
Updated on
15-11-2024 10:17 AM
देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आकर गंगा घाट पर दिवाली मनाते हैं. आइए जानते हैं आज पूजा करने का शुभ मुहूर्त और सामग्री से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी.
हिंदू धर्म में देव दिपावाली का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरा सुर नाम के एक राक्षस का वध किया था, जिसके बाद सभी देवी-देवताओं ने प्रसन्न होकर भगवान शिव की आराधना के समय संपूर्ण काशी को दीपों से सजा दिया था. तब से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावाली मनाने की शुरुआत हुई. इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
देव दीपावली प्रदोष काल शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, देव दीपावली पर प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. ऐसे में पूजा के लिए कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.
देव दीपावाली पूजा समाग्री
एक चौकी, भगवान गणेश और शिव जी की मूर्ति और शिवलिंग, पीतल या मिट्टी का दीपक, तेल और घी के लिए दीपक और कपास की डिबिया, कपड़े का एक पीला टुकड़ा, मौली, जनेऊ, बेल पत्र, दूर्वा घास, फूल, इत्र, धूप, नैवेद्य, फल, नारियल, पान, सुपारी, दक्षिणा, फल, हल्दी, कुमकुम / रोली, चंदन, अभिषेक के लिए- जल, कच्चा दूध, शहद, दही, पंचामृत, घी गंगाजल और कपूर
देव दीपावाली पूजा विधि
देव दीपावली के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें. इस दिन गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. यदि संभव न हो तो पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलकर स्नान कर लें. इसके बाद मंदिर की साफ-साफाई कर सभी भगवान शिव और सभी देवी-देवताओं की विधि विधान से पूजा करें. देव दीपावली की शाम को भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करें और महादेव को फल, फूल और दूध जरूर चढ़ाएं. इसके बाद भगवान को भोग लगाकर आरती करें. इसके बाद शाम के समय नदी के तट और मंदिर में दीपक जलाएं. इस दिन गंगा नदी में दीप दान का विशेष महत्व माना जाता है.
देव दिवाली पर क्या न करें | Dev Diwali Ke Din Kya Na Kare
देव दिवाली के दिन लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से दूर रहें. देव दीपावली के दिन भूलकर भी किसी से उधार लेन देन न करें. इस दिन नाखून और बाल भी नहीं काटने चाहिए . घर में किसी प्रकार की गंदगी भी न रखें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं. इसके अलावा घर के सदस्यों से किसी भी प्रकार का झगड़ा या वाद-विवादनकरें.
देव दिपावली का महत्व
देव दिवाली के दिन दीपदान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन दीपक जलाकर देव स्थान पर रखने से जीवन में सुख-शांति आती है. इसके अलावा इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना भी बहुत जरुरी होता है. इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुर नाम के एक राक्षस का वध किया था जिसके बाद से भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जात है. इसलिए देव दिपावली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का विधान है. जिससे उनके दिव्य रूप को मान्यता और सम्मान दिया जाता है.