बैंकॉक । चीन की चौधराहट से तंग थाईलैंड ने ड्रैगन के साथ बड़ा प्रोजेक्ट रद्द क़र दिया है। कभी चीन का करीबी दोस्त रहा यह देश थाईलैंड भी अब उससे दूरियां बनाने लगा है जिस कारण ड्रैगन की मुसीबत बढ़ सकती है। चीन को सबक सिखाने के लिए अब थाईलैंड क्वाड देशों यानि भार, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाथ मिला सकता है। दरअसल थाईलैंड अपने एक प्रोजैक्ट से चीन को अलग कर दिया है। थाइलैंड अपने इस क्रा कैनाल प्रोजेक्ट (क्रा नहर परियोजना) को तैयार करने के लिए अब भारत के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को कांट्रैक्ट दे सकता हैं। पहले ये कॉन्ट्रैक्ट चीन को दिया जाने वाला था। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट किसके हिस्से आएगा, अभी यह तय नहीं है। फिलहाल चीनी कंपनियां इस रणनीतिक प्रोजेक्ट से बाहर होती नजर आ रही हैं। 10 दिन पहले थाईलैंड सरकार ने चीन से 2 सबमरीन्स की डील रद्द कर दी थी।
बंगाल की खाड़ी में चीन थाईलैंड के लिए एक नहर बनाने की कोशिश में था। अगर यह नहर चीन बना लेता तो बहुत आसानी से वह हिंद महासागर तक पहुंच सकता था। यानी भारत के लिहाज से यह प्रोजेक्ट समुद्री सीमा सुरक्षा के लिए एक परेशानी बन जाता। भारत के अलावा कम्बोडिया और म्यांमार तक चीन की सीधी पहुंच हो जाती। माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के दबाव के चलते थाईलैंड सरकार ने चीन के साथ बंगाल की खाड़ी में यह नहर प्रोजेक्ट रद्द कर दिया। थाईलैंड सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि छोटे पड़ोसी देशों के हितों के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है। इसमें कहा गया है कि म्यांमार और कम्बोडिया की सीमाएं चीन से मिलती हैं, थाईलैंड सरकार को लगता है कि चीन नहर के जरिए इन दोनों के हितों को प्रभावित कर सकता है। थाईलैंड सरकार ने घोषणा की है कि अब वह खुद इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। यह नहर 120 किलोमीटर लंबी होगी। थाईलैंड के इस फैसले के बाद ये स्पष्ट नज़र आ रहा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के उग्र रवैये के बाद सभी देश उससे किनारा कर रहे हैं।