टमाटर का ही इस्तेमाल क्यों?
बायो-लेदर बनाने के लिए टमाटर का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है, इसके पीछे भी कई कारण हैं। मिस्त्री कहते हैं कि भारत में सालाना करीब 4.40 अरब टन टमाटर का उत्पादन होता है। इसमें से 30 से 35% टमाटर बर्बाद हो जाता है।ऐसे में प्लांट मटेरियल के रूप में टमाटर का कचरा काफी काम आता है। यह बायोलेदर के लिए एक टिकाऊ कच्चा माल प्रदान करता है। साथ ही टमाटर पेक्टिन से भरपूर होते हैं। इनसे बायो-लेदर की उम्र काफी बढ़ जाती है। साथ ही इसकी बनावट भी चमड़े जैसी हो जाती है।
कई चीजों में हो रहा इस्तेमाल
बायो-लेदर के शुरुआती अपनाने वाले फैशन, एक्सेसरीज और ऑटोमोटिव सेक्टर में फैले हुए हैं। इसमें कई ब्रांड इससे जैकेट, बैग और जूते बना रहे हैं।टोरंटो स्थित प्लांट-बेस्ड हैंडबैग लेबल सतुहाटी की फाउंडर और सीईओ नताशा मंगवानी कहती हैं, 'बायो-लेदर पीयू/पीवीसी फ्री है जो इसे पारंपरिक नकली चमड़े से अलग करता है। यह एक असाधारण इनोवेशन है और इसका प्लांट बेस्ड चमड़ा अपने अनूठे मूल के लिए अलग है।'