भारत के मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर की रीढ़ बनेगा यह मुस्लिम देश, झेल रहा पाकिस्तान जैसी कंगाली
Updated on
14-09-2023 01:53 PM
काहिरा: भारत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और सऊदी अरब ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिडिल ईस्ट कॉरिडोर पर औपचारिक सहमति का ऐलान किया। इस कॉरिडोर के जरिए भारत से लेकर मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों तक एक नया ट्रेड रूट खोला जाएगा। इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का काट बताया जा रहा है। इसमें भारत से बंदरगाह के जरिए सऊदी अरब तक कनेक्टिविटी रहेगी। इसके बाद रेल नेटवर्क के जरिए मध्य पूर्व को जोड़ा जाएगा। ट्रेड रूट के कुछ हिस्सों में सड़क मार्ग का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस ट्रेड रूट में एक देश सबसे ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है, जो इस वक्त बेहद कठिन हालात से गुजर रहा है। अगर सबकुछ सही रहा तो यह देश मिडिल ईस्ट कॉरिडोर की रीढ़ बन सकता है, क्योंकि इसके पास दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग पर एकाधिकार है।
मिस्र और भारत के मजबूत हो रहे संबंध
भारत के मिडिल ईस्ट कॉरिडोर की रीढ़ बनने की कोशिश कर रहे इस देश का नाम मिस्र है। भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था। मिस्र इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके बावजूद मिस्र अफ्रीका से सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति और महत्वपूर्ण देश बना हुआ है। विश्व के सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग स्वेज नहर पर मिस्र का ही अधिकार है। मिस्र जब चाहे तब इस मार्ग को बंद कर दुनिया के किसी भी देश का समुद्री परिवहन रोक सकता है। मिस्र यूरोप के भी मुहाने पर बसा देश है। ऐसे में मिस्र की सैन्य और रणनीतिक ताकत काफी ज्यादा है।
मिस्र को काफी तवज्जो दे रहा भारत
मिस्र मीडिया की चकाचौंध से दूर मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए भारत का मुख्य फोकस बनने जा रहा है। भारत ने मिस्र के साथ साझेदारी मजबूत करने के लिए इस देश को ब्रिक्स में शामिल करने की जोरदार वकालत भी की थी। मिस्र अफ्रीकी संघ का भी एक महत्वपूर्ण देश है, जो अब जी20 का आधिकारिक सदस्य बन चुका है। अफ्रीकी संघ को भारत की पहल पर जी20 में शामिल किया गया। भारत में मिस्र की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2023 के गणतंत्र दिवस पर वहां के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
भारतीय राजदूत ने बताया मिस्र का महत्व
मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने इजिप्ट डेली न्यूज को बताया कि जी20 में विशेष अतिथि के रूप में मिस्र को भारत का निमंत्रण भू-राजनीतिक तनावों को मानवीय संकट में बदलने से रोकने के लिए भोजन, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को पूरा करने का प्रयास है। इस काम में मिस्र जैसे अफ्रीकी देशों की विशेष भूमिका है। गुप्ते ने सुझाव दिया कि भारत और मिस्र भविष्य में आईटी, डिजिटल अर्थव्यवस्था, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं। मिस्र अफ्रीका में भारत का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है, वित्त वर्ष 2021-22 में मिस्र को भारत का निर्यात $3.74bn है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 86% की वृद्धि दर्शाता है।
भारत से क्या-क्या खरीदता है मिस्र
मिस्र से प्राथमिक भारतीय आयात में खनिज तेल/पेट्रोलियम, उर्वरक, अकार्बनिक रसायन और कपास शामिल हैं। इसके विपरीत, भारत , मिस्र को भैंस का मांस, लोहा और इस्पात, इंजीनियरिंग उत्पाद, हल्के वाहन और सूती धागे निर्यात करता हैं। मिस्र अपनी खाद्य आवश्यकताओं का 90 प्रतिशत रूस और यूक्रेन से संयुक्त रूप से आयात करता है। हालांकि, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने मिस्र को नए आपूर्तिकर्ता की तलाश करने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में उसे भारत के रूप में एक व्यवहारिक विकल्प नजर आ रहा है।
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