रायसेन I शक्ति की आराध्य देवी मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों
में से एक हिंगलाज शक्तिपीठ ) है जो पाकिस्तान के
ब्लूचिस्तान में नानी की दरगाह के नाम से जाना जाता है I लेकिन कम ही लोग
जानते हैं कि दूसरा हिंगलाज शक्तिपीठ रायसेन ज़िले के बाड़ी में
है I किंवदंति है कि भक्त यहां मां को ज्योति स्वरुप लाए थे लेकिन बाद में
वो स्वयं प्रकट हो गयीं थीं I बाड़ी में स्थित हिंगलाज शक्ति पीठ के बारे में कहा जाता है कि यह 500 साल
से ज़्यादा पुराना है I देवी का लज्जा स्वरूप होने के कारण यहां मां का नाम
हिंगलाज पड़ा I मां तो मां होती है I जाति-धर्म और जात-पांत से ऊपर. यही वजह है
कि हिंगलाज गढ़ की ये देवी भी हिंदू-मुसलमान दोनों की बराबर से आस्था की
प्रतीक हैं I इस मंदिर ने साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश की है I ये है कहानी
किंवदंति है कि 500 साल पहले यहां रहने वाले भगवान दास को मां हिंगलाज ने
स्वप्न दिया था कि वो उन्हें यहां ले आएं I उसके बाद भगवानदास बलूचिस्तान से
मां को ज्योति के रूप में बाड़ी लेकर आ गए I उस समय ये इलाका जंगली और
दुर्गंम स्थान था जो खाकी राम जानकी अखाड़े के नाम से जाना जाता था I यहां तक
सिर्फ तपस्वी साधु संत ही पहुंच सकते थे I भगवानदास ने ज्योति स्वरुप मां
को मूर्ति के सामने स्थापित किया I बाद में ज्योति मूर्ति में समाहित हो
गयी I आज ये मंदिर हिंगलाज कहलाता है I हिंगलाज का अर्थ है सबको तत्काल फल
देने बाली मां I हिंग का अर्थ है रौद्र रूप और लाज का अर्थ लज्जा है I कथा के
अनुसार गुस्से में शिव के सीने पर पैर रखने के बाद मां शक्ति लज्जित हुई
थीं I इसलिए रौद्र और लज्जा को मिलाकर मां का नाम हिंगलाज पड़ा I अमर ज्योति
मंदिर में आज भी अमर ज्योति जल रही है I मंदिर परिसर में भगवानदास और
पीरबाबा की समाधि एक साथ बनी हुई, जो हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है I यहां
संस्कृत पाठशाला और और यज्ञ शाला भी है, जहां 100 से ज्यादा विद्याथी हैं I