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भारत के आसमान का कवच या एक कमजोर किला, सच्चाई क्या है?

Updated on 04-11-2023 03:09 PM
मॉस्को: भारतीय वायु सेना ने अपने तीन एस-400 वायु रक्षा मिसाइल स्क्वाड्रन का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है। इस मिसाइल सिस्टम को चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर तैनात किया गया है। भारतीय और रूसी अधिकारी अब बाकी बचे दो स्क्वाड्रन की अंतिम डिलीवरी कार्यक्रम पर चर्चा के लिए आगामी बैठक की तैयारी कर रहे हैं। भारत ने 2018-19 में रूस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम के पांच स्क्वाड्रन की खरीद के लिए समझौता किया था। यूक्रेन युद्ध के कारण रूसी सेना बेचने के लिए बनाए जा रहे कई हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। इस कारण रूस हथियारों की डिलीवरी में देरी कर रहा है। इस देरी ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। इस कारण भारत की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने हाल में ही प्रोजेक्ट कुश के तहत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए मंजूरी दे दी है।


एस-400 की क्षमता पर उठ रहे सवाल

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भारत के लिए एक शक्तिशाली हथियार नहीं है? हालांकि, जब इसकी खरीद के लिए समझौता किया गया था, तब एस-400 को दुनिया का सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम कहा गया था। रक्षा विशेषज्ञों की नजर में रक्षात्मक और संभावित रूप से एंटी-एक्सेस और एरिया डिनायल के क्षेत्र में एस-400 का कोई मुकाबला नहीं है। यह अडवांस एयर डिफेंस सिस्टम विमान, यूएवी, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों सहित कई तरह के हवाई खतरों के खिलाफ प्रभावशीलता का दावा करती है। विशेष रूप से क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करने की इसकी क्षमता पाकिस्तान के परमाणु हमले को बेअसर करने में कारगर साबित हो सकती है।

एस-400 शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम क्यों है


एस-400 की व्यापक कवरेज इस सिस्टम में शामिल कई तरह की मिसाइलों के कॉम्बिनेशन से प्राप्त की जाती है। इसमें 9M96E के साथ 40 किलोमीटर की रेंज, 9M96E2 की 120 किलोमीटर की रेंज, 48N6 की 250 किलोमीटर की रेंज और 40N6E मिसाइल की 400 किलोमीटर की रेंज शामिल है। मिसाइलों के ये प्रकार इसे बड़े इलाके में हाई वैल्यू लक्ष्यो को सुरक्षित रखने और दुश्मन पर हमला करने की भी क्षमता भी प्रदान करते हैं। एस-400 की हाई मोबिलिटी और किसी नए स्थान पर पहुंचने के केवल पांच मिनट के अंदर तैनात होने की क्षमता इसे असाधारण रूप से शक्तिशाली बनाती है। इससे दुश्मनों को एस-400 पर हमला करने का मौका नहीं मिल पाता है।

स्वीडिश रिपोर्ट ने एस-400 की क्षमता की उड़ाई धज्जियां!


रूस से खरीदे गए एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को भारत में वास्तव में काफी प्रशंसा मिली है, जिसमें "दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एयर डिफें सिस्टम" से लेकर "गेम चेंजर" तक बताया गया है। लेकिन, विशेषज्ञ इसके अतिरेक तारीफ को लेकर चेतावनी देते हैं। ऐसे में बढ़ा चढ़ाकर आकलन करने और अनुचित सैन्य दुस्साहस से बचने के लिए सिस्टम की क्षमताओं का एक गंभीर और तकनीकी मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। एस-400 सिस्टम का एक व्यापक और आधिकारिक मूल्यांकन स्वीडिश रक्षा अनुसंधान एजेंसी एफओआई ने अपनी 116 पेज की रिपोर्ट 'बर्स्टिंग द बबल: रशियन ए2/एडी इन द बाल्टिक सी रीजन' में प्रस्तुत किया है, जो एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल से संबंधित है। रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि सिस्टम की समग्र क्षमताओं और जवाबी उपायों का मुकाबला करने की क्षमता को कम करके आंका गया है। यह इस बात पर जोर देता है कि एस-400 आम तौर पर अनुमान से छोटा एयर डिफेंस क्षेत्र बनाता है।

एस-400 की प्रभावी सीमा को लेकर नया दावा


स्वीडन की एफओआई का दावा है कि एस-400 क्रूज मिसाइलों और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लड़ाकू विमानों को बहुत मुश्किल से भेद सकता है। यह एस-400 की प्रभावी सीमा को महत्वपूर्ण रूप से कम कर सकता है। शोध के अनुसार, ऐसे लक्ष्यों के विरुद्ध, इलाके के आधार पर प्रभावी सीमा 20-35 किलोमीटर या उससे भी कम हो सकती है। इन सीमाओं के अलावा, एस-400 को आने वाली मिसाइलों के अचानक हमले से चौंकाया जा सकता है और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के जरिए इसकी आक्रामक क्षमताओं को कुछ हद तक बाधित किया जा सकता है। इसके अलावा एस-400 की पांच मिनट में तैनाती सिर्फ मैदानी इलाकों में ही की जा सकती है, न कि पहाड़ी या जंगली इलाकों में जहां, व्यापक नजर रखने के लिए रडार सिस्टम को ऊंचा रखने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में कुल तैनाती में 45 से 90 मिनट का समय लग सकता है।

चीन के खिलाफ भी एस-400 उतना कारगर नहीं


एस-400 मिसाइल सिस्टम अपनी स्पीड और हाईट की बाधाओं के कारण हाइपरसोनिक मिसाइलों की मुकाबला करने में सीमित क्षमताओं से लैस है। ऐसे में इस सिस्टम को चीनी हाइपरसोनिक मिसाइल DF-ZF जैसी मिसाइलों से खतरा हो सकता है, जो मैक 10 की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। एस-400 डिफेंस सिस्टम दुर्जेय होते हुए भी संभावित खतरों के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा नहीं दे सकती है। गौरतलब है कि भारत और चीन दोनों ने S-400 हासिल कर लिया है, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) भी इस सिस्टम का संचालन कर रही है। एस-400 की साझा जानकारी चीन के खिलाफ भारत के लिए एक निवारक के रूप में इसकी दीर्घकालिक विश्वसनीयता को कम कर सकता है।


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