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आबादी भूमि के भूखंड का मालिकाना हक मिलेगा

Updated on 30-05-2020 03:06 AM
प्रदेश के हरदा-डिंडौरी ‎जिले से होगी सर्वे शुरुआत
भोपाल । ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों को आबादी भूमि के भूखंड का मालिकाना हक मिलेगा। प्रदेश में पहली बार ऐसा शिवराज सरकार द्वारा ‎किया जा रहा है। इस हेतु सर्वे का कार्य जून के पहले सप्ताह में हरदा और डिंडौरी से शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले चरण के लिए 10 जिले (मुरैना, श्योपुर, सागर, शहडोल, खरगोन, विदिशा, भोपाल, सीहोर, हरदा और डिंडौरी) का चयन किया है। इनमें दस हजार 553 राजस्व गांवों का सर्वे कर न सिर्फ रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, बल्कि मालिकाना हक भी दिया जाएगा। राजस्व और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर यह सर्वे भारतीय सर्वेक्षण विभाग करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को ग्रामीण आबादी सर्वेक्षण योजना (स्वामित्व योजना) की घोषणा की थी।इसके तहत प्रदेश में भारतीय सर्वेक्षण विभाग जून के पहले सप्ताह से हरदा और डिंडौरी के कुछ गांवों में सर्वे का काम शुरू करेगा। आबादी भूमि का सर्वे तीन चरणों में किया जाएगा। इसमें ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख तैयार कर प्रत्येक संपत्ति स्वामी को स्वामित्व अभिलेख उपलब्ध कराया जाएगा। सर्वे के पहले चरण में जागरुकता अभियान और ग्राम सभाएं होंगी। दूसरे चरण में ड्रोन के माध्यम से सर्वे कर प्रारंभिक अभिलेख बनाकर घर-घर सत्यापन किया जाएगा। तीसरे और अंतिम चरण में दावा-आपत्ति लेकर उनका निराकरण कर संपत्तिधारकों को संपत्ति कार्ड के साथ अधिकार संबंधी दस्तावेज दिए जाएंगे। इन्हें मिलेगा मालिकाना हक भूखंड का मालिकाना हक उन्हें ही मिलेगा, जो 25 सितंबर 2018 को आबादी भूमि पर काबिज थे या फिर जिन्हें इस तारीख के बाद विधिवत आबादी भूमि में भूखंड आवंटित किया गया हो। यदि आबादी क्षेत्र के पास की दखलरहित भूमि पर बसाहट है जो आबादी क्षेत्र में शामिल नहीं है, कलेक्टर ऐसी भूमि को आबादी घोषित करने की कार्रवाई कर सकते हैं। ग्रामीणों को भूखंड का मालिकाना हक मिलेगा और इसका दस्तावेज उनके पास रहेगा। इसके आधार पर वे बैंकों से न सिर्फ कर्ज ले सकेंगे, बल्कि संपत्तियों से जुड़े विवाद भी कम होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत में अभी तक आबादी की भूमियों का सर्वेक्षण और अभिलेख का काम नहीं किया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी आवासीय संपत्तियां होने के बावजूद वे ग्रामीणों के आड़े वक्त काम नहीं आ पाती थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत की इस समस्या का समझा और इतिहास में पहली बार ग्रामीणों को उनकी आबादी भूमि का मालिकाना हक देने के लिए योजना प्रारंभ की है। इससे संपत्तियों के हस्तांतरण की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी और पारिवारिक विभाजन भी सरल होगा। पंचायतों को गांव की विकास योजना बनाने में सुविधा होगी। सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण कम होगा, रखरखाव आसान होगा। 

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