शी जिनपिंग के तरीकों से नहीं चलेगा देश चीनी राष्ट्रपति की पार्टी नेताओं ने उड़ाई धज्जियां, इसलिए जी20 से बनाई दूरी
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06-09-2023 02:24 PM
बीजिंग: चीन के हालात इस समय ठीक नहीं हैं। एक तरफ देश की आर्थिक स्थिति मुश्किल में हैं तो दूसरी ओर राष्ट्रपति शी जिनपिंग आलोचनाओं में घिरे हैं। अब एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले दिनों कम्युनिस्ट पार्टी के कई सीनियर लीडर्स ने जिनपिंग को कड़ी फटकार लगाई है। जिस तरह से वह देश चला रहे हैं, उससे ये नेता काफी नाराज हैं। काफी समय तक चुप्पी साधने के बाद आखिरकार उन्होंने जिनपिंग को खूब खरी खोटी सुनाई है। सूत्रों ने कहा कि इस साल की सभा में पार्टी के रिटायर्ड बुजुर्गों के एक समूह ने शीर्ष नेता को उन तरीकों से फटकार लगाई, जो उन्होंने अभी तक नहीं अपनाए थे।
डांट के बाद दुखी निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिनपिंग जो पार्टी के टॉप लीडर हैं, उन्होंने इस डांट के बाद अपने करीबियों के सामने निराशा भी जाहिर की है। जिनपिंग से बुजुर्ग नेताओं ने कहा कि अगर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल ऐसे ही चलती रही और कोई प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो फिर पार्टी जनता का समर्थन खो सकती है। इससे उनके शासन पर खतरा पैदा हो सकता है। सीनियर लीडर्स ने जिनपिंग को क्लीयर कर दिया कि वह और ज्यादा उथल-पुथल बर्दाशत नहीं कर सकते हैं।
जिनपिंग बोले, 'मैं क्या करूं' बुजुर्गों से अप्रत्याशित रूप से कठोर आलोचना हासिल करने के बाद, जिनपिंग उन करीबी सहयोगियों के पास गए जिनकी वजह से वह यहां तक पहुंचे हैं। जो जानकारी सामने आनी शुरू हुई है, उसके अनुसार, शी ने अपने तीन पूर्ववर्तियों, डेंग जियाओपिंग, जियांग और हू पर सारा दोष डालकर अपनी हताशा व्यक्त की। माना जाता है कि उन्होंने कहा, 'पिछले तीन नेता जो मसले छोड़ कर गए हैं उन सभी का भार उनके कंधों पर है। मैंने पिछला दशक उनसे निपटने में बिताया है लेकिन वे अनसुलझे हैं। क्या मैं दोषी हूं?' कहा जा रहा है कि जिनपिंग ने अपने सहयोगियों से यह भी कहा कि इन बचे हुए मुद्दों को हल करना उनका काम था। सदम में पीएम ली इस बयान ने उनके सहयोगियों को हिलाकर रख दिया है। सबसे ज्यादा सदमा पार्टी में जिनपिंग के बाद नंबर दो नेता प्रधानमंत्री ली कियांग हैं। ली एक ऐसी अर्थव्यवस्था के प्रभारी हैं जो इस समय सबसे ज्यादा खतरे में है। जिनपिंग भारत में हो रहे G20 शिखर सम्मेलन में नहीं आ रहे हैं। माना जा रहा है कि वह अपना चेहरा बचाने की कोशिशें कर रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है, इसकी चर्चा सम्मेलन में हो सकती है। ऐसे में पीएम ली को भारत भेजा जा रहा है।
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