भोपाल। पूर्ववती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खरीदे गए छह लाख मीट्रिक टन गेहूं का विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया है। केंद्र सरकार इस गेहूं को लेने के लिए तैयार नहीं है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसे लेकर पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। पिछले साल किसानों से खरीदे 73.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं में से छह लाख मीट्रिक टन का विवाद अभी भी अनसुलझा है। मालूम हो, केंद्र सरकार ने कमल नाथ सरकार द्वारा 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा को आधार बनाकर गेहूं लेने से इन्कार कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक सत्ता परिवर्तन के बाद खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग को उम्मीद थी कि विवादों में फंसे छह लाख मीट्रिक टन गेहूं को सेंट्रल पूल में लेने के लिए केंद्र सरकार सहमत हो जाएगी। इसी मंशा के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से पत्र भी भिजवाया गया था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। कमल नाथ सरकार ने जय किसान समृद्धि योजना के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 160 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। इसके लिए बजट में एक हजार 400 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था, लेकिन केंद्र सरकार की आपत्ति के कारण इसका वितरण नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन सरकार की ओर से इस गेहूं को केंद्र सरकार लेने पर सहमत हो जाए, इसके लिए कई प्रयास किए गए थे लेकिन बात नहीं बनी। विभागीय स्तर पर प्रयास करने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से पत्र भिजवाया गया। अब प्रदेश में रिकॉर्ड 127.67 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसके मद्देनजर विभाग ने भारतीय खाद्य निगम से आग्रह किया है कि सेंट्रल पूल में उठाव कर गेहूं दूसरे राज्यों में परिवहन शुरू कराएं। दरअसल, प्रदेश के गोदाम भर चुके हैं और कुछ जिलों में तो भंडारण क्षमता भी खत्म हो गई है। उज्जैन और सागर से रेलवे रैक के माध्यम से गेहूं दूसरे जिलों में भिजवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भी इस मुद्दे पर केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान से चर्चा की है।
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भोपाल। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के अंतर्गत संबंधित अपराध में अलग-अलग शर्तों के अंतर्गत आधी या एक-तिहाई सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने…
भोपाल। जिले में विकास और कानून व्यवस्था के कामों के लिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जिम्मेदार होंगे। उनकी जिम्मेदारी है कि वे जिले में व्यवस्था बनाएं। यदि कोई नियम विरुद्ध…
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